गुड़ाबांदा : विलुप्त होती आदिम जन जाति के सबरों के उत्थान के लिए सरकार करोड़ों की राशि खर्च करती है, मगर यह एक विडंबना ही है कि कुष्ठ रोग से पीड़ित महिरा सबर (50) गुड़ाबांदा प्रखंड के खडि़याबांदा के पास मुख्य सड़क पर बनी आरसीसी पुलिया के नीचे एक साल से गुजारा कर रहा है. उसे एक आवास तक नहीं मिला है. खाने के लिए अनाज भी नहीं मिलता है. यह पुलिया ही उसका आशियाना है. इसी पुलिया के नीचे वह जाड़े की रात गुजारता है. लाल कार्ड, पेंशन, इंदिरा आवास, बिरसा आवास से वंचित महिरा सबर भीख मांग कर पेट भरता है और पुलिया के नीचे रहता है. वह कुष्ठ रोग से पीड़ित है, परंतु सरकारी इलाज से मरहुम है.
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एक साल से पुलिया के नीचे ही रह रहा सबर
गुड़ाबांदा : विलुप्त होती आदिम जन जाति के सबरों के उत्थान के लिए सरकार करोड़ों की राशि खर्च करती है, मगर यह एक विडंबना ही है कि कुष्ठ रोग से पीड़ित महिरा सबर (50) गुड़ाबांदा प्रखंड के खडि़याबांदा के पास मुख्य सड़क पर बनी आरसीसी पुलिया के नीचे एक साल से गुजारा कर रहा है. […]
महिरा सबर मूल रूप से मुसाबनी प्रखंड के गोहला गांव के पुनडुंगरी टोला का रहने वाला है. उसने बताया कि वह एक साल से उक्त पुलिया के नीचे रह रहा है. दिन में वह गांवों में भीख मांगने जाता है. रात में पुलिया के नीचे खाना बनाता है और पुलिया के नीचे ही सोता है. वह अकेला है. उसने शादी नहीं की है. उसने बताया कि बारिश होने पर वह काशियाबेड़ा गांव में चला जाता है. गांव के स्कूल में रात गुजारता है. उसने बताया कि उसके पास किसी प्रकार का कार्ड नहीं है. उसे पेंशन भी नहीं मिलती है. उसे कुष्ठ रोग हो गया है. हाथ और पैर में घाव हैं. उसने बताया कि गुड़ाबांदा गांव के श्याम डॉक्टर उसे मुफ्त में दवा देते हैं. दवा खाने से घाव सूख जाता है. महिरा सबर ने कहा कि उसे किसी आश्रम का सहारा चाहिए. ताकि शेष जिंदगी गुजार सके.
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