बहरागोड़ा : बहरागोड़ा में वर्षो से बदहाली का दंश ङोल रहा एनएच अपने उद्धार के लिए अहिल्या की तरह ही किसी राम का इंतजार कर रहा है.
पिछले कई साल से दलदल में तब्दील एनएच ने वाहनों के चक्कों को ग्रास कर और गुल्लों को तोड़ कर खुद को जाम किया. बहरागोड़ा को टापू बनाया. जनता को परेशानी में डाला, ताकि बदहाली से मुक्ति मिले, मगर आज तक इसकी तकदीर और तसवीर नहीं बदली. अब एनएच ने खुद के उद्धार के लिए खुद को 48 घंटों से जाम रखा है. इसके उद्धार की सिर्फ सुगबुगाहाट शुरू हुई है.
एनएच की मरम्मत को लेकर वर्ष 2011 से अब तक विभिन्न दलों के नेताओं ने कई बार एनएच को जाम किया.एक दूसरे पर दोषारोपण किया. हर बार आश्वासन मिला. आंदोलन करने वाले अधिकांश नेताओं ने दल बदल लिया, मगर एनएच की तकदीर और तसवीर नहीं बदली. दलदल में तब्दील एनएच ने सांसद के रूप में अजरुन मुंडा, डॉ अजय कुमार और विद्युत वरण महतो को देखा, परंतु इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. दलदल में तब्दील एनएच ने मुख्यमंत्री के रूप में अजरुन मुंडा और हेमंत सोरेन को देखा, मगर इसे जजर्रता से मुक्ति नहीं मिली.
अच्छे दिन का वायदा कर केंद्र में नमो की सरकार बनी. नमो की हवा में झारखंड में भाजपा और आजसू गंठबंधन की सरकार बन गयी. रघुवर दास मुख्यमंत्री बने. उम्मीद थी कि रघुवर दास एनएच का उद्धार करेंगे, मगर अब तक एनएच के अच्छे दिन नहीं आये.
इसके बुरे दिन और भी बुरे हुए. यहां के विधायक कुणाल षाड़ंगी ने एनएच की मरम्मत के लिए विधान सभा के मुख्य द्वार पर धरना दिया. मुख्यमंत्री ने मररम्मत का भरोसा दिया, मगर हुआ कुछ भी नहीं. बेमौसम बरसात ने एनएच को और भी बदहाल कर दिया. परिणाम जग जाहिर है. 48 घंटे से बदहाल एनएच जाम है और यहां की जनता एक त्रसदी ङोल रही है.