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14 साल के बाद भी आश्रितों को नौकरी व मुआवजा नहीं

गुड़ाबांदा : गुड़ाबांदा थाना क्षेत्र के डोंगादह में वर्ष 2004 में नक्सली हिंसा में मारे गये नागरिक सुरक्षा समिति के सदस्य दुंभी होनहागा व कांडे गोडसरा के आश्रितों को 14 साल बाद भी मुआवजा व नौकरी नहीं मिली है. मृतक कांडे गोडसरा के पिता सतीश चंद्र गोडसरा ने बताया कि सरकार की उपेक्षा के कारण […]

गुड़ाबांदा : गुड़ाबांदा थाना क्षेत्र के डोंगादह में वर्ष 2004 में नक्सली हिंसा में मारे गये नागरिक सुरक्षा समिति के सदस्य दुंभी होनहागा व कांडे गोडसरा के आश्रितों को 14 साल बाद भी मुआवजा व नौकरी नहीं मिली है. मृतक कांडे गोडसरा के पिता सतीश चंद्र गोडसरा ने बताया कि सरकार की उपेक्षा के कारण परिवार बदहाल स्थिति में है. उस समय मृतकों के आश्रितों को सिर्फ 50-50 रुपये मिले थे. इसके सिवा कुछ भी नहीं मिला है. पुलिस विभाग ने मुआवजा व एक-एक सदस्य को नौकरी देने का भरोसा दिया था.

ज्ञात हो कि सात दिसंबर 2004 को सिंहपुरा-गुड़ाबांदा मुख्य सड़क पर डोंगादह के पास नक्सलियों ने लैंड माइन विस्फोट कर पुलिस की जीप उड़ायी थी. जीप पर सवार घाटशिला के इंस्पेक्टर सुशील नाग, आरक्षी रजनीश कुमार, नागरिक सुरक्षा समिति के दुंभी होनहागा व कांडे गोडसरा की मौत हो गयी थी. मृतक कांडे गोडसरा के पिता के मुताबिक पुलिस विभाग ने एक-एक सदस्य को नौकरी व मुआवजा देने का भरोसा दिया था. सिर्फ 50-50 हजार रुपये ही दिये गये. फिलहाल राशन कार्ड मिला है. आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है.

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