बहरागोड़ा : पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे बहरागोड़ा के पूर्वांचल में सरकारी स्वास्थ्य सेवा बदहाल है. रामचंद्रपुर में कई करोड़ की लागत से निर्मित स्वास्थ्य केंद्र भवन स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के कारण दर्शन की वस्तु बना हुआ है. केंद्र में पेयजल और बिजली की व्यवस्था नहीं है. दवाइयों का भी अभाव है. एक […]
बहरागोड़ा : पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे बहरागोड़ा के पूर्वांचल में सरकारी स्वास्थ्य सेवा बदहाल है. रामचंद्रपुर में कई करोड़ की लागत से निर्मित स्वास्थ्य केंद्र भवन स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के कारण दर्शन की वस्तु बना हुआ है. केंद्र में पेयजल और बिजली की व्यवस्था नहीं है. दवाइयों का भी अभाव है. एक चिकित्सक सप्ताह में तीन दिन आते हैं.
फॉर्मासिस्ट संजय कुमार मरीजों की जांच करते हैं और दवा देते हैं. विडंबना यह है कि आलीशान पीएचसी के रहते क्षेत्र की अधिकांश गर्भवती माताओं का प्रसव बंगाल के तपसिया अस्पताल में होता है.
इस पीएचसी में बिजली का संयोजन नहीं है. इसलिए पेयजल की समस्या भी रहती है. गांव के ट्रांसफॉर्मर से सिर्फ दो कमरों में बिजली का संयोजन लिया गया है. अन्य कमरों में बिजली की व्यवस्था नहीं है. इस पीएचसी में डॉ एसके माझी पदस्थापित हैं. वे सप्ताह में तीन दिन अस्पताल आते हैं. शेष दिन वे घाटशिला जेल में प्रतिनियुक्ति पर रहते हैं. चिकित्सक के नहीं रहने से फॉर्मासिस्ट संजय कुमार चिकित्सक की भूमिका निभाते हैं. इस पीएचसी में पिछले 44 दिनों में सिर्फ 1360 मरीजों की जांच हुई और दवा दी गयी.
प्रसव गृह है, मगर सुविधाएं नहीं
इस पीएचसी में प्रसव गृह है. दो एएनएम रेणु दत्त तथा राजमणि पदस्थापित हैं. पीएचसी सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक ही खुलता है. इस दौरान ही प्रसव कराया जाता है. इसलिए क्षेत्र की गर्भवती माताओं को पश्चिम बंगाल के तपसिया अस्पताल ले जाया जाता है.
पांच किमी दूर है तपसिया अस्पताल
इस क्षेत्र से बहरागोड़ा सीएचसी की दूरी 20-25 किमी है, जबकि बंगाल का तपसिया अस्पताल सिर्फ पांच किमी दूर है और वहां बेहतर सुविधा भी मिलती है. इसलिए इस क्षेत्र के अधिकांश मरीज तपसिया जाते हैं. गर्भवती माताओं को प्रसव के लिए तपसिया ले जाया जाता है.