बासुकिनाथ. जरमुंडी प्रखंड के कुशमाहा बाराटांड़ मैदान में शुक्रवार को विश्व कल्याणार्थ व समाज में सुख शांति व समृद्धि के लिए यज्ञ के नौवें दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप में आहुतियां देकर मंगलकामना की. संत त्यागी महाराज ने कहा कि भक्ति के साथ-साथ ज्ञान और वैराग्य भी आवश्यक है. क्योंकि केवल भक्ति से ही जीवन आनंदमय नहीं बन सकता. महायज्ञ के दौरान राम वनवास की घटना सुनायी, जिसमें रानी कैकेयी ने राजा दशरथ से भरत को अयोध्या का राजा बनाने और राम को 14 वर्ष के वनवास पर भेजने की मांग की. श्रीराम ने गुरु वशिष्ठ की आज्ञा और अपने पिता के वचनों का पालन करते हुए पत्नी सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास के लिए प्रस्थान किया. यह कथा सुनकर श्रद्धालु भावुक हो गए और कई लोगों की आंखें नम हो गयीं. संत त्यागी महाराज ने कहा कि ईश्वर के बिना जीवन में कुछ भी नहीं है. व्यक्ति को ज्ञान और वैराग्य से भी संपन्न होना चाहिए. एक गुरु ही जड़बुद्धि को भी ज्ञानी बना सकता है. कथावाचक ने धुंधकारी के उद्धार की कहानी सुनायी, जिसमें यह बताया गया कि धर्म का पालन ही मानव जीवन की सार्थकता है और सभी को अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है. बताया गया कि राम की भक्ति प्राप्त करने के लिए महादेव की शरण में जाना होता है. बनारस से पहुंचे यज्ञाचार्य संत त्यागी महाराज, हरेंद्र शास्त्री महाराज, पियूष द्विवेदी, अरविन्द पांडेय द्वारा हवन कुंड में आहुति दिलायी गयी. यज्ञ के सफल संचालन में मुखिया दामोदर गृही, बरुण कुमार मिश्रा, संजीत यादव, उदित कुमार मिश्रा, कृपाशंकर मिश्रा, कांग्रेस राय, जगदीश मंडल, महाराजी राउत सहित दर्जनों सदस्य लगे हुए हैं.
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