रामगढ़. रामगढ़ प्रखंड के सिलठा बी के लक्खी मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में सोमवार को कथा व्यास अमृता त्रिपाठी ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म तथा उनके बाल लीला का मनोहारी वर्णन किया. कथा वर्णन के दौरान भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया. श्रोताओं ने नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी-घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की के जयघोष के बीच एक-दूसरे के बीच मिठाई बांट कर भगवान का जन्मोत्सव मनाया. कथा वाचिका अमृता त्रिपाठी ने कहा कि मनुष्य के जीवन में सुख व दुख के दिन प्रभु की कृपा से ही आते हैं. जैसे सुख के दिन हमेशा नहीं रहते. वैसे ही दुख के दिन भी हमेशा नहीं रहते हैं. हमें दुख के समय में धीरज रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस समय भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ उस समय कंस के कारागार के ताले टूट गये. पहरेदार सो गये. वासुदेव और देवकी बंधन मुक्त हो गये. प्रभु की कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है. प्रभु की कृपा न होने पर मनुष्य सभी सुखों से वंचित हो जाता है. भगवान का जन्म होने के बाद वसुदेव ने वर्षा काल में उफनती हुई यमुना नदी को पार करके उन्हें गोकुल पहुंचा दिया. वहां से वह यशोदा के यहां पैदा हुई शक्तिरूपा बेटी को लेकर चले आये.कथा व्यास ने कहा कि कंस ने वासुदेव के हाथ से कन्या को छीनकर जमीन पर पटक कर उनकी हत्या करना के प्रयास किया तो वह कन्या राजा कंस के हाथ से छूटकर आसमान में चली गयी. शक्ति रूप में प्रकट होकर उस कन्या ने आकाशवाणी के माध्यम से कहा कि कंस, तेरा वध करने वाला जन्म ले चुका है. भयभीत कंस खीजता हुआ अपने महल की ओर लौट गया. कथा वर्णन के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव में प्रस्तुत झांकी में नन्हें बालक ने भगवान कृष्ण का रूप धारण कर श्रद्धालुओं का मन मोह लिया.
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