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शिवगंगा का पानी हो गया दूषित, निकल रहा दुर्गंध

जिले के बासुकिनाथ शिवगंगा का जल हालात चिंताजनक हो गयी है. जल हरा रंग लिए हुए है. पानी की सतह पर काईयुक्त शैवाल की मोटी परत जम गयी है. इससे पानी से दुर्गंध निकल रही है.

संकट. शैवालयुक्त हरे जल में ही कैसे अर्घ्य देंगे छठ व्रती, उठने लगे सवाल

हर साल सावन से पहले लाखों रुपये खर्च कर होती है सफाई

आदित्यनाथ, बासुकिनाथ

जिले के बासुकिनाथ शिवगंगा का जल हालात चिंताजनक हो गयी है. जल हरा रंग लिए हुए है. पानी की सतह पर काईयुक्त शैवाल की मोटी परत जम गयी है. इससे पानी से दुर्गंध निकल रही है. आनेवाले श्रद्धालु पूजा से पहले स्नान करने में भी हिचकिचा रहे हैं. शिवगंगा घाट पर नियमित सफाई नहीं हो रही है, जिससे घाट पर कचरा जमा हो गया है. मूर्ति विसर्जन और पूजा सामग्री का जल में छोड़ा जाना भी पानी की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है. श्रावणी मेले और कार्तिक मास के दौरान मिथिलांचल व आसपास के क्षेत्रों से भारी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. श्रद्धालु सूर्योदय से पूर्व आस्था की डुबकी लगाकर भोलेनाथ की पूजा करते हैं. लेकिन हरे और गंदे पानी के कारण उनका अनुभव प्रभावित हो रहा है. स्थानीय लोगों के अनुसार, पानी में छोटे-छोटे कीड़े भी दिखाई देने लगे हैं. छठ महापर्व जैसे महापर्वों में श्रद्धालु हरे जल में अर्ध्य देंगे. दो वर्ष पूर्व और हाल ही में नगर पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग ने लाखों रुपये खर्च कर शिवगंगा की सफाई कराई थी. बावजूद इसके, प्रदूषण नियंत्रित नहीं हो सका है. शिवगंगा के जल में यूरिनल और साबुन, शैंपू जैसी सामग्री के मिल जाने से भी पानी दूषित हो रहा है. स्थानीय लोगों ने मांग की है कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग पाइपलाइन के माध्यम से स्वच्छ जल उपलब्ध कराये. पानी में एलम, चूना तथा ब्लीचिंग पाउडर जैसी सामग्रियों का समुचित उपयोग कर जल की गुणवत्ता सुधारी जाये. धर्म और आस्था के महत्वपूर्ण स्थल के रूप में बासुकिनाथ शिवगंगा की स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है. मंदिर प्रबंधन ने नहीं लगाया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट

शिवगंगा की सफाई को लेकर मंदिर प्रबंधन द्वारा अबतक कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. प्रबंधन द्वारा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी शिवगंगा में नहीं लगाया जा सका. हर वर्ष सावन से पहले शिवगंगा सफाई का मुद्दा जोर से उठाया जाता है. सावन के बाद फिर ठंडे बस्ते में चला जाता है. मंदिर की सभी बैठक में बाहर से एक्सपर्ट तकनीशियन की टीम को बुलाकर शिवगंगा सफाई का कोई स्थायी समाधान के लिए पहल करने तथा शिवगंगा में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने पर भी चर्चा हुई थी, बावजूद इस दिशा में अबतक तो कोई सकारात्मक पहल नहीं हो पायी है.

आउटलेट बना है शोभा की वस्तु

बासुकिनाथ शिवगंगा के पूर्वी किनारे पर आउटलेट बनाया गया है, जो शोभा की वस्तु बनी हुई है. वह किसी काम का नहीं है, मंदिर प्रबंधन के पास शिवगंगा सफाई की ठोस योजना का अभाव रहने के कारण शिवगंगा में नियमित तौर पर पानी छोड़ने और आउटलेट से निकासी कार्य नहीं हा रहा है. आउटलेट से शिवगंगा का गंदा पानी बाहर नहीं निकलत पाता है. पांच वर्ष पूर्व करीब 32 लाख की लागत से आउटलेट का निर्माण ग्रामीण विकास विभाग के विशेष प्रमंडल द्वारा कराया गया था.

कोट

पीएचइडी को शिवगंगा का पानी हमेशा स्वच्छ रहे. इसके लिए बाहर से एक्सपर्ट की टीम को बुलाकर शिवगंगा का जांच कर पानी को स्वच्छ बनाने की दिशा में काम कराने की बात कही गयी है. छठ व्रतियों व बासुकिनाथ आनेवाले भक्तों के सुविधार्थ शिवंगगा के जल में पाइपलाइन से पानी डलवाया जायेगा. चूना, एलम, ब्लीचिंग पाउडर आदि डालकर शिवगंगा के पानी को स्वच्छ किया जायेगा.

कुंदन भगत, मंदिर प्रभारी सह बीडीओ

क्या कहते हैं ग्रामीण

शिवगंगा का पानी फिर से दूषित हो गया है. सावन में व्यापक संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा नहाने के दौरान घाट पर बने चेंजिंग रूम का उपयोग यूरिनल के रूप में करते हैं. कोई देखने सुनने वाला नहीं है. सावन में लाखों खर्च के बाद भी स्थिति खराब है.

पप्पू राव

शिवगंगा के जल में हजारों छठ व्रती यहां अर्घ्य देते हैं. शिवगंगा का सफाई कभी भी सही तरीके से नहीं हुई. सफाई के नाम पर पैसे का ही दुरुपयोग हुआ है. शिवगंगा सफाई को लेकर मंदिर प्रबंधन को ठोस पहल करने की जरूरत है. ताकि परेशानी न हो.

कार्तिक राव

शिवगंगा के पानी में छोटे-छोटे कीड़े हो गये हैं, पानी से दुर्गंध निकल रहा है. बगल में रहना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में मंदिर प्रबंधन को फिटकरी, चूना आदि शिवगंगा में डालकर छठ महापर्व से पहले शिवगंगा के जल को स्वच्छ कराया जाना चाहिए.

राजू पंडा

शिवगंगा के जल को स्वच्छ करने को लेकर आवश्यक पहल करने की जरूरत है. शिवगंगा का जल स्वच्छ रहना चाहिए. ताकि श्रद्धालुओं के बीच बेहतर संदेश जाये. छठ में व्रती शिवगंगा के जल में ही अर्घ्य देते हैं. ऐसे में सफाई कराना बेहद जरूरी है.

प्रदीप ठाकुर,

श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए शिवगंगा सफाई बहुत जरूरी है. शिवगंगा का शैवालयुक्त गंदा पानी भक्तों की आस्था से साथ मंदिर प्रबंधन का खिलवाड़ प्रतीत होता है. वर्षों से शिवगंगा की सफाई का मुद्दा उठते रहा है. सकारात्मक पहल हो.

दिनेश पंडा

शिवगंगा का पानी एकदम हरा हो गया है. यह नहाने लायक नहीं है. कीड़े हो गये हैं. नहाने के बाद शरीर खुजलाने लगता है. शिकायत बाहर से आनेवाले श्रद्धालु लगातार कर रहे हैं. एक सप्ताह बाद छठ महापर्व है. शिवगंगा की सफाई बहुत जरूरी है.

कुंदन पंडा

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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