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Lead News : जर्जर स्कूल में कक्षाएं बंद, छात्रावास में पढ़ रहे छात्र

बारिश के मौसम में छत टपकती है. दीवारों में दरार आ गयी है. कुछ जगहों पर छत के गिरने की की संभावनाएं है. यह हाल है, काठीकुंड प्रखंड के आसनपहाड़ी स्थित अनुसूचित जनजाति आवासीय बालक मध्य विद्यालय का. आलम यह है कि विद्यालय के जर्जर होने के कारण अब कक्षाएं अब छात्रावास में संचालित की जा रही हैं.

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संकट. संसाधनों की कमी से जूझ रहा आसनपहाड़ी अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय

प्रतिनिधि, काठीकुंड

बारिश के मौसम में छत टपकती है. दीवारों में दरार आ गयी है. कुछ जगहों पर छत के गिरने की की संभावनाएं है. यह हाल है, काठीकुंड प्रखंड के आसनपहाड़ी स्थित अनुसूचित जनजाति आवासीय बालक मध्य विद्यालय का. आलम यह है कि विद्यालय के जर्जर होने के कारण अब कक्षाएं अब छात्रावास में संचालित की जा रही हैं. शिक्षा और इससे जुड़े संसाधनों की व्यवस्था पर बड़ी राशि खर्च की जाती है, ताकि समाज का सभी वर्ग बेहतर शिक्षा हासिल कर बेहतर भविष्य का निर्माण कर सके. लेकिन इस आवासीय विद्यालय के भवन की दीवारों से झांकती दरारों, झड़ते छत व गिरती दीवारों ने विद्यालय प्रबंधन को कक्षाओं को छात्रावास में शिफ्ट करने को मजबूर कर दिया. कमरे जर्जर होते जा रहे हैं, जो कभी भी अप्रिय घटना का कारण बन सकते हैं. इस विद्यालय के पहली से छठी कक्षा में आदिम जनजाति के कुल 88 पहाड़ियां बच्चें नामांकित हैं, जो विद्यालय परिसर में ही बने छात्रावास में रहते हैं. विद्यालय में आठ वर्ग कक्ष हैं. सभी लगभग जर्जर हो चुके हैं. बहरहाल, विद्यालय की बागडोर संभाल रहे शिक्षक अप्रिय घटना की संभावना को देखते हुए छात्रावास में कक्षाएं लेने को मजबूर हैं. अगर समय रहते जर्जर स्कूल की मरम्मत या जीर्णोद्धार नहीं की गयी तो किसी अनचाहे हादसे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. सरकार व प्रशासन को स्कूल की मरम्मत कर बच्चों को सुरक्षित शैक्षणिक माहौल उपलब्ध उपलब्ध कराया जाना चाहिए.

88 छात्र पर महज दो शिक्षक, कैसे होगी बेहतर पढ़ाई

विद्यालय में पहली कक्षा में 13, दूसरी कक्षा में 22, तीसरे में 19, चौथे में 14, पांचवीं कक्षा में 12 व छठी कक्षा में 8 बच्चे नामांकित हैं. विद्यालय के कुल 88 बच्चों के भविष्य के गढ़ने का काम महज दो शिक्षकों के कंधों पर है. एक शिक्षक नियमित तो एक घंटी आधारित शिक्षक है. शिक्षक की कमी के कारण विषयवार पढ़ाई प्रभावित हो रही है. शिक्षक के साथ ही विद्यालय में बेंच की कमी है. महज 40 बेंच डेस्क होने के कारण विद्यालय के कई बच्चों को जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करनी पड़ती है. सरकार की ओर से स्कूलों के विकास के लिए कई योजनाएं चलायी जाती हैं, लेकिन उनका सही क्रियान्वयन नहीं होने के कारण विद्यालय संबंधी गतिविधियां प्रभावित होने लगती है.

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