रानीश्वर. तालडंगाल पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चरकापाथर में विभागीय लापरवाही के चलते बच्चों की संख्या लगातार घटती जा रही है. यहां के अभिभावक मजबूर व मायूस हैं, पर लाचार हैं. अपने बच्चे के भविष्य को लेकर सभी अभिभावक चिंतित हैं. यहां दो सरकारी शिक्षक व तीन सहायक अध्यापक का पद सृजित है. इनमें से फिलहाल एकमात्र सहायक अध्यापक अमिताभ मंडल कार्यरत हैं, जो स्कूल के सचिव भी हैं. हाल ही में शिकारीपाड़ा विधायक की अनुशंसा पर जिला शिक्षा अधीक्षक की ओर से यहां पदस्थापित एक सहायक अध्यापिका चित्रा कुमारी को उनके सुविधानुसार बांसकुली पंचायत के प्राथमिक विद्यालय कुमिरखाला में तीन महीने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया है. चित्रा कुमारी आठ नवंबर को यहां से विरमित हुई हैं. सहायक अध्यापिका चित्रा कुमारी का ससुराल बांसकुली है, जहां से कुमिरखाला की दूरी दो किलोमीटर है. जबकि कुमिरखाला स्कूल में पहले से ही एक सरकारी शिक्षक पदस्थापित हैं. जानकारी के अनुसार सहायक अध्यापकों की दूसरी स्कूल में प्रतिनियुक्ति का प्रावधान नहीं है. फिर भी सहायक अध्यापिका की प्रतिनियुक्ति बांसकुली के आसपास स्कूलों में होती रहती है. वहीं उनका मूल विद्यालय शिक्षक के अभाव में बर्बाद हो रहा है. चरकापाथर स्कूल के सहायक अध्यापक सह सचिव अमिताभ मंडल ने बताया कि उनके पोषक क्षेत्र में प्रावि आमझारी व यूपीएस मोहनपुर हैं. कई साल पहले चरकापाथर स्कूल में कक्षा पहली से आठवीं तक बच्चों की संख्या 100 से अधिक थी. यहां एकमात्र सरकारी शिक्षक का स्थानांतरण 2013 में हो जाने के बाद दूसरे सरकारी शिक्षक का पदस्थापन नहीं किया गया है. वहीं तीन सहायक अध्यापक में से वर्ष 2016 में एक सहायक अध्यापक सुभाष साहा की सरकारी शिक्षक में नौकरी हो चुकी है, तब से यहां मात्र दो ही सहायक अध्यापक रह गये हैं. इनमें से एक सहायक अध्यापिका समय-समय पर अन्य स्कूल में प्रतिनियुक्ति करा लेती हैं. एकमात्र सहायक अध्यापक के भरोसे स्कूल रह जाने से अब अभिभावक भी अपने बच्चे को यहां नामांकन कराने के बदले प्राइवेट स्कूल में ही नामांकन कराना उचित समझते हैं. नतीजा 100 से भी ज्यादा बच्चों से घट कर वर्तमान में यहां कक्षा पहली से आठवीं तक मात्र 27 बच्चे रह गये हैं. उनमें से अभी धनकटनी चलने या फिर बच्चों के अभिभावक बंगाल चले जाने से फिलहाल बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति भी घट गयी है. स्कूल में एकमात्र सहायक अध्यापक होने के कारण स्कूल छोड़ कर बच्चों को बुलाने उनके घर तक भी नहीं जा पाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी यहां सरकारी शिक्षक पदस्थापित करने में तत्परता नहीं दिखाने के बदले गांव के बच्चों के भविष्य की चिंता नहीं कर नियम के विरुद्ध यहां से सहायक अध्यापक को दूसरे स्कूल में प्रतिनियुक्ति करते रहते हैं. एसएमसी के अध्यक्ष व ग्रामीणों की प्रतिक्रिया : तालडंगाल पंचायत के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में उत्क्रमित मध्य विद्यालय चरकापाथर है. यहां वर्ष 2013 के बाद से एक भी सरकारी शिक्षक नहीं है. विभाग यहां सरकारी शिक्षक पदस्थापित करने के बदले यहां से एक सहायक अध्यापिका को अन्यत्र प्रतिनियुक्ति किये जाने से स्कूल का पठन-पाठन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. प्रतिनियुक्ति रद्द कर यहां वापस लाने की मांग करते हैं. – किशोर हेंब्रम, अध्यक्ष, एसएमसी पहले एक सरकारी शिक्षक व तीन सहायक अध्यापक रहते थे. उस समय स्कूल में बच्चों की संख्या ज्यादा थी. अभिभावक भी बच्चों को यहां नामांकन कराते थे. पर अब शिक्षकों की कमी के चलते अभिभावक भी बच्चों को यहां नामांकन नहीं कराना चाहते हैं. विभाग को इसके लिए पहल करनी चाहिए. – शिवलाल किस्कू, पूर्व अध्यक्ष, एसएमसी यूएमएस चरकापाथर में सरकारी शिक्षक पदस्थापित किया जाना अति आवश्यक है. शिक्षा विभाग को इसके लिए पहल करनी चाहिए. यहां शिक्षकों की घोर कमी के बावजूद एक सहायक अध्यापिका को दूसरे स्कूल में प्रतिनियुक्त कर दिया गया. कम से कम दो शिक्षक रहने से बच्चों को लाभ मिलता. जिस दिन एकमात्र शिक्षक विभागीय कार्य में स्कूल से बाहर रहते हैं, उस दिन पठन-पाठन ठप हो जाता है. – सुनीराम बेसरा, ग्रामीण स्कूल में ज्यादा शिक्षक रहने से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी मिल सकेगा तथा स्कूल में बच्चों का नामांकन भी ज्यादा होगा. शिक्षकों की घोर कमी के चलते स्कूल का हाल-बेहाल होते चला गया. इस पर शिक्षा विभाग व सरकार को पहल करनी चाहिए. हमलोग स्कूल में शिक्षक की मांग करेंगे. – दुलड़ वास्की, ग्रामीण चरकापाथर स्कूल की सहायक अध्यापिका चित्रा कुमारी की प्रतिनियुक्ति विधायक की अनुशंसा पर जिला स्तर से की गयी है. उनकी प्रतिनियुक्ति प्रखंड स्तर से नहीं हुई है. – एस्थेर मुर्मू, बीइइओ सह बीआरसी समन्वयक.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

