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खूब बज रहे हैं इस बार रीलिज हुए नीलोत्पल मृणाल के नये छठ गीत

सोना के खड़ुआ पहिने, पूरब दिशा से आइले, रथवा चढ़ल दीनानाथ...

दुमका. छठ महापर्व के अवसर पर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी प्रसिद्ध लेखक कवि नीलोत्पल मृणाल अपना नया छठ गीत लेकर आये हैं. लोकभाषा, परंपरा और भक्ति को साथ पिरोते इस गीत में मध्य प्रदेश की मशहूर लोकगायिका कविता शर्मा ने भी अपनी सुरीली आवाज दी है, जिससे भक्ति–रस और अधिक प्रभावशाली होकर उभरता है. गीत की पंक्तियां “सोना के खड़ुआ पहिने, पूरब दिशा से आइले, रथवा चढ़ल दीनानाथ” छठी मैया के आगमन की आस्था और उत्सव को सजीव रूप में सामने लाती हैं. पूरे गीत में गांव की रौनक, घर-आंगन की तैयारी और परिवार की सामूहिक भागीदारी का जीवंत चित्र उभरता है. “चाची संगे मौसी छाने ठेकुआ, नानी दादी बांधेले कसार” जैसी पंक्तियां लोकजीवन और संयुक्त परिवार की परंपरा को फिर से याद दिलाती हैं. वहीं “नईकी दुल्हनिया के मन में आइल छठी के विचार” नयी पीढ़ी में इस पर्व की बढ़ती आस्था और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाती है. नीलोत्पल मृणाल अपनी विशिष्ट लोकभाषा, सहज शब्दों और भावपूर्ण अभिव्यक्ति के कारण छठ गीतों के श्रोताओं में हर वर्ष विशेष रूप से प्रशंसित होते रहे हैं. इस वर्ष का यह गीत भी सोशल मीडिया पर तेजी से लोकप्रिय हो रही है. छठ की तैयारियों के बीच लोगों में भक्ति और उल्लास की नयी ऊर्जा भर रही है. प्रकृति के प्रति आभार, सूर्य–उपासना, परिवार की एकता और लोक–संस्कृति का गौरव गीत इन सभी भावनाओं को सहजता से समेटती है, यही कारण है कि यह पर्व की आत्मा को सटीक रूप से व्यक्त करता है.

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