बासुकिनाथ. तालझारी बाजार स्थित वासंती दुर्गा मंदिर परिसर में शतचंडी महायज्ञ में लोगों की भीड़ लग रही है. बनारस से आये कथावाचक आचार्य अवधेश शास्त्री व महेंद्र शास्त्री ने कहा कि निर्गुण निराकार ब्रह्म त्रेता युग में अयोध्या में भगवान राम के रूप में अवतार लिए. उन्होंने मर्यादा का पालन करते हुए सभी कार्यों का निर्वहन किया. प्रभु श्रीराम की कथा मात्र कथा नहीं है, यह ज्ञान व शिक्षा है. इसके कुछ अंशों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो यह मानव जन्म धन्य हो जाएगा. भारतवर्ष सभ्यता व संस्कृति का देश है. यहां चित्र की नहीं बल्कि व्यक्ति के चरित्र की पूजा होती है. श्रीराम ने अपने चरित्रों के माध्यम से जो शिक्षा दी है, उसी आधार पर उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है. कथा में नाम महिमा का वर्णन करते हुए बाल व्यास ने कहा कि इस कलियुग में नाम जप से ही भवसागर को पार किया जा सकता है. उन्होंने कथा सुनने की महिमा व सत्संग का वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया. कर्णप्रिय संगीत की धुन पर भगवान राम की महिमा के दोहे पर लोग झूमने पर विवश हो गये. तमाम विद्वतजनों द्वारा दुर्गा सप्तशती के मंत्रों के उच्चारण से पूरा क्षेत्र भक्तिभाव में सराबोर हो गया है. यज्ञ के सफल संचालन में यज्ञ समिति के लखीनारायण दत्ता, अनूप कुमार, रतन बिहारी, सुबोध दत्ता, गौरीशंकर पांडेय, बालकृष्ण पांडेय, अनूप कुमार झा सहित दर्जनों सदस्य लगे हुए हैं.
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