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फसल की आमदनी से वर्षों से होती मां दुर्गा की पूजा

काठीकुंड बाजार स्थित आना दुर्गा मंदिर में शारदीय नवरात्र को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. मंदिर का इतिहास जितना प्राचीन है, उतना ही अद्वितीय भी है. वर्षों पूर्व मंडल समाज के संपन्न परिवार ने यहां मां दुर्गा की पूजा का शुभारंभ किया था.

काठीकुंड बाजार स्थित एक आना दुर्गा मंदिर में नवरात्र की तैयारी शुरू

प्रतिनिधि, काठीकुंड

काठीकुंड बाजार स्थित आना दुर्गा मंदिर में शारदीय नवरात्र को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. मंदिर का इतिहास जितना प्राचीन है, उतना ही अद्वितीय भी है. वर्षों पूर्व मंडल समाज के संपन्न परिवार ने यहां मां दुर्गा की पूजा का शुभारंभ किया था. उस समय से ही पूजा के खर्च को पूरा करने के लिए विशेष व्यवस्था की गयी थी. परिवार ने अपनी उपजाऊ जमीन का एक हिस्सा मंदिर को समर्पित कर दिया था. आज भी उसी जमीन पर होनेवाली फसल की आमदनी से मां दुर्गा के धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किये जाते हैं. इस परंपरा को निभाने के लिए परिवार के बीच जमीन की पाली बांटी गयी है, ताकि हर वर्ष पूजा निर्विघ्न रूप से संपन्न हो सके. लेकिन बदलते समय और बढ़ती महंगाई के कारण केवल फसल की आमदनी से पूरे खर्च को पूरा करना कठिन हो गया. इसी को ध्यान में रखते हुए ग्रामीणों ने जनप्रिय दुर्गापूजा समिति का गठन किया, जिसमें काठीकुंड बाजार और आसपास के लोग बढ़-चढ़कर योगदान दे रहे हैं. मंदिर में रंग-रोगन, प्रतिमा निर्माण और लाइट डेकोरेशन का काम तेजी से चल रहा है. पूजा बंगाली पद्धति से की जायेगी. सप्तमी के दिन बाड़ी आगमन का विशेष आयोजन होगा. पूजा समिति ने इस बार पूजा का बजट ढाई लाख रुपये निर्धारित किया है. समिति का कहना है कि ग्रामीणों के सहयोग से पूजा को भव्य रूप देने का प्रयास किया जा रहा है.

क्या कहते हैं कमेटी सदस्य

फसल से होनेवाली आय से धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराये जाते हैं. मगर बदलते दौर और बढ़ती महंगाई को देखते हुए ग्रामीण सहयोग से साज-सज्जा व अन्य गतिविधियां पूरी की जा रही है.

आशीष दे, अध्यक्षमूर्ति निर्माण और साज-सज्जा के लिए पहले शहरों का रुख करना पड़ता था, जबकि अब स्थानीय स्तर पर ही बेहतर व्यवस्था की जा रही है. पूजा के लिए इस बार ढाई लाख रुपये का बजट है.

सुमन मंडल, कोषाध्यक्षग्रामीणों की सुगमता को देखते हुए बैरिकेडिंग की व्यवस्था की जायेगी. सप्तमी के दिन बाड़ी आगमन को लेकर विशेष आयोजन होंगे. शांतिपूर्ण आयोजन प्राथमिकता रहती है. तैयारी शुरू है.

जितेंद्र पाल, सचिवपहले के मुकाबले अब पूजा आयोजन में काफी बदलाव आया है. पूजा को भव्य बनाने के लिए ग्रामीणों का सहयोग मिलता है. सफल आयोजन के लिए सभी लोग जोर-शोर से लगे हैं.

सपन नाग, सदस्य

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