दुमका. सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय में आंतरिक परिवाद समिति द्वारा लिंग आधारित हिंसा विषय पर आयोजित त्रिदिवसीय कार्यशाला शुक्रवार को सम्पन्न हुई. 10 से 12 दिसंबर तक चले इस कार्यक्रम में जेंडर आधारित हिंसा की अवधारणा, उसके सामाजिक प्रभाव, कानूनी प्रावधान और रोकथाम के उपायों पर विस्तृत चर्चा की गयी. विश्वविद्यालय के मिनी कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता समिति की अध्यक्षा डॉ निर्मला त्रिपाठी ने की. उन्होंने कहा कि पुरुषों और महिलाओं की समान भागीदारी से ही संवेदनशील एवं सुरक्षित समाज का निर्माण संभव है, इसलिए जेंडर हिंसा की रोकथाम के लिए जागरूकता बढ़ाना अनिवार्य है. उद्घाटन सत्र में एसपी कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापक डॉ सनोज स्टीफन हेंब्रम ने कहा कि जेंडर आधारित हिंसा की सबसे अधिक शिकार महिलाएं होती हैं, इसलिए उनके बीच जागरूकता का विस्तार आवश्यक है. उन्होंने एक वीडियो प्रस्तुति के माध्यम से जेंडर हिंसा के विभिन्न रूपों—शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आर्थिक—को विस्तार से समझाया. इसके बाद दिल्ली आईआईटी की शोधार्थी अंगना दास ने महिलाओं पर हो रहे जेंडर आधारित दुर्व्यवहार के कारणों, सामाजिक मान्यताओं और उसके मनोवैज्ञानिक प्रभावों पर प्रकाश डाला. कार्यशाला के दूसरे सत्र में डॉ अजय सिन्हा ने जेंडर हिंसा से संबंधित कानूनों, उनके प्रावधानों और प्रमुख अदालती फैसलों की जानकारी दी. उन्होंने घरेलू हिंसा अधिनियम, दहेज निषेध कानून, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न कानून और अन्य प्रासंगिक विधानों को सरल भाषा में समझाया. इतिहास विभाग की प्राध्यापिका अमिता कुमारी ने 2013 के एक्ट के तहत संस्थानों में आंतरिक परिवाद समिति की भूमिका, गठन प्रक्रिया, शिकायत दर्ज करने की विधि और जांच प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी. दूसरे दिन छात्रों के बीच जेंडर हिंसा विषयक नाटक प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिसमें विभिन्न विभागों ने प्रभावशाली प्रस्तुतियों के माध्यम से समाज में मौजूद जेंडर असमानताओं और हिंसा के विभिन्न रूपों को मंचित किया. परिणाम इस प्रकार रहे : प्रथम स्थान: प्राणिविज्ञान विभाग – प्रालिना सेन, अर्नब गोराई, पोल्मी हेम्ब्रम, सौरभ कुमार, सोनिया मुर्मू द्वितीय स्थान: अंग्रेज़ी विभाग – मो रैहान रज़ा, अंजलि, अंकिता ई सोरेन, सोफिया फिरदौस, रूपेश कुमार तृतीय स्थान: वाणिज्य विभाग – दिनेश टुडू, सुभन हांसदा, रोज़ेलिन किस्कू, अंशु कुमारी
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