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एसकेएमयू की अकादमिक काउंसिल का हुआ पुनर्गठन

यह पहल न केवल अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करेगी, बल्कि उच्च शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में विश्वविद्यालय की भूमिका को और अधिक सशक्त बनाएगी.

दुमका. सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो कुनुल कंदिर ने विश्वविद्यालय की अकादमिक काउंसिल का पुनर्गठन कर दिया है. कुलपति ने विश्वविद्यालय अधिनियम 2000 की धारा 24 में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए यह कदम उठाया है. पुनर्गठित अकादमिक काउंसिल में कुलपति प्रो कुनुल कंदिर अध्यक्ष होंगीं. सदस्य के रूप में प्रति कुलपति, विश्वविद्यालय के चारों संकायों वाणिज्य, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और मानविकी संकाय के डीन शामिल हैं. इसके साथ ही झारखंड सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक तथा विभिन्न स्नातकोत्तर विभागों के विभागाध्यक्ष जैसे कि वनस्पति विज्ञान, रसायन शास्त्र, वाणिज्य, अर्थशास्त्र, अंग्रेज़ी, हिंदी, इतिहास, गणित, दर्शनशास्त्र, भौतिकी, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान, संताली और प्राणीशास्त्र को भी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. इसके अतिरिक्त रोटेशन के आधार पर अंगीभूत महाविद्यालयों के आधे प्राचार्यों को नामांकित किया गया है, जिनमें गोड्डा कॉलेज गोड्डा, आरडीबीएम कॉलेज देवघर, एसआरटी कॉलेज धमरी, एसपी कॉलेज दुमका, मॉडल कॉलेज पालोजोरी; मॉडल कॉलेज सुग्गाबथान, मॉडल कॉलेज दुमका; मॉडल कॉलेज राजमहल, डिग्री कॉलेज नाला, डिग्री कॉलेज, जरमुंडी, डिग्री कॉलेज महगामा; डिग्री कॉलेज शिकारीपाड़ा, डिग्री कॉलेज मधुपुर और डिग्री कॉलेज सारठ शामिल हैं. वहीं, प्रावधान के अनुसार पांच संबद्ध महाविद्यालयों एएन कॉलेज दुमका, पथरगामा कॉलेज गोड्डा, महिला कॉलेज गोड्डा, जगन्नाथ मिश्रा कॉलेज जसीडीह और शिकारीपाड़ा कॉलेज के प्राचार्यों को भी परिषद में शामिल किया गया है. इस काउंसिल के सचिव के रूप में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नामित किए गए हैं. पीआरओ दीपक कुमार दास ने बताया कि विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार अकादमिक काउंसिल का गठन तीन वर्षों की अवधि के लिए किया जाता है. अकादमिक काउंसिल का यह पुनर्गठन सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में शैक्षणिक प्रशासन को सुदृढ़ करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है. कहा कि कुलपति प्रो कुनुल कंदिर के नेतृत्व में विश्वविद्यालय में अकादमिक समन्वय, नीति निर्माण और पाठ्यक्रम विकास में नवाचार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. यह पहल न केवल अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करेगी, बल्कि उच्च शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में विश्वविद्यालय की भूमिका को और अधिक सशक्त बनाएगी.

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