शिकारीपाड़ा : प्रखंड मुख्यालय सहित विभिन्न भागों में भाई-बहन पर आधारित लोक संस्कृति व पारंपरिक आस्था का पर्व करमा मंगलवार प्रातः विसर्जन के साथ संपन्न हुआ. भाद्र माह के एकादशी तिथि सोमवार को व्रती बहनें उपवास रह कर अपनी भाइयों की मंगलकामना को लेकर रात को करम डाल पूजा व जागरण किया. कॉलोनी पाड़ा में व्रती बहनों ने करमा भगवान के पारंपरिक गीत ‘आटल भाद्र मास लागिल न हीरा गुल..
….भैया रे भैया रे बाजे बांसुरी मुरुलिया……. देहो करम देवा देहो आशिष हे मोर भइया जीयत लाखो बरिस….. काली माय कार,गौरी माय गोर, सरस्वती देखत सुन्दर…. आदि गीतो पर नृत्य के साथ जागरण किया गया. मौके पर गुडिया कुमारी, मीना, पूजा, बिन्दु , आरती, शिवानी, पुतुल आदि व्रती व करम ठाकुर ब्रज लाल राय उपस्थित थे. दूसरी ओर केशरगढ़, सिरसा, जामुगुड़िया, रामगढ़, कजलादहा आदि गांवो मे करमा का पर्व धूमधाम से मनाया गया.