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महिला कैदी नहीं मिल पातीं अपने वकीलों से

महिला आयोग की अध्यक्ष महुआ माजी पहुंची दुमका, सेंट्रल जेल की महिला बंदियों से मिली दुमका : झारखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ महुआ मांजी, सदस्य शबनम परवीन एवं किरण कुमारी के साथ दुमका पहुंची और दुमका परिसदन में ओपन कोर्ट लगाकर मामलों की सुनवाई की. वे सेंट्रल जेल दुमका भी पहुंची और वहां […]

महिला आयोग की अध्यक्ष महुआ माजी पहुंची दुमका, सेंट्रल जेल की महिला बंदियों से मिली
दुमका : झारखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ महुआ मांजी, सदस्य शबनम परवीन एवं किरण कुमारी के साथ दुमका पहुंची और दुमका परिसदन में ओपन कोर्ट लगाकर मामलों की सुनवाई की. वे सेंट्रल जेल दुमका भी पहुंची और वहां बंद महिला बंदियों को लेकर की गयी व्यवस्था,
उनकी स्थिति की जानकारी लेने के उद्देश्य से महिला वार्ड का निरीक्षण किया. उन्होंने यहां बंद 66 विचाराधीन महिला बंदियों एवं सजायाफ्ता महिला कैदियों से बात की. इन बंदियों ने उनसे सरकारी अधिवक्ता से मुलाकात नहीं हो पाने की शिकायत की.
कहा कि जेल में विचाराधीन महिला कैदी को सरकारी वकील से परिचय भी सालो-साल नहीं होता है और वे तारीख पर तारीख पाती जा रही हैं. ऐसे मामलों पर संवेदनशील होकर कार्रवाई करने की आवश्यकता है.
अध्यक्षा ने सेंट्रल जेल में महिला बंदियों के रहने की व्यवस्था, खानपान की सुविधा, प्रशिक्षण, उनके बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था आदि पर संतोष जताया. वे सेंट्रल जेल से निकलकर अचानक सदर अस्पताल चली गयी और सीधे महिला वार्ड में घुसकर गैंगरेप की पीड़ित विक्षिप्त बच्ची की स्थिति देखी. उन्होंने उस बच्ची के परिजनों से बातचीत की तथा मौजूद सामाजिक कार्यकर्ताओं से पीड़िता की स्थिति में हो रहे सुधार की जानकारी ली. वे अस्पताल के प्रसव वार्ड भी घुसी. इलाज करा रही महिलाओं से भी मिली.
महिला आयोग की लगी अदालत, 27 मामलों में हुई सुनवाई
अध्यक्ष डॉ महुआ मांजी सहित आयोग के सदस्यों ने दुमका परिसदन में लगी खुली अदालत में 27 मामलों की सुनवाई की, जिसमें दो मामलों में अंडरटेकिंग लिया गया, जबकि 10 मामले कार्रवाई के लिए संबंधित पदाधिकारियों को रेफर कर दिये गये. डॉ मांजी ने बताया कि अधिकांश मामले घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना या फिर लीव इन रिलेशनशिप के दौरान के यौन शोषण के थे. जिन मामलों में पक्षकार नहीं आ सके, उन्हें रांची आने को कहा गया.
राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा डॉ महुआ मांझी ने कहा है कि आयोग का कार्यकाल तीन साल का है और वह अच्छा काम कर रही है, लिहाजा वे इस्तीफा नहीं देंगी. उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर कहा कि वे कानून के दायरे में तथा पद के कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन कर रही हैं. लिहाजा नैतिकता से इस्तीफा देने का कोई तुक ही नहीं है. काम नहीं होता, तो नैतिकता की बात कही जा सकती थी. डॉ महुआ मांझी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र राय के उस बयान पर प्रतिक्रिया जता रही थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि पूर्ववर्त्ती सरकार के कार्यकाल में बोर्ड निगम में नियुक्त तमाम लोगों को स्वत: नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए.

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