प्रतिनिधि, बासुकीनाथ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को शक्ति उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र कलश स्थापना के साथ शुरू हुआ. इस दिन से घरों और पूजा पंडालों में दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ हो गया है. भक्त नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना में लीन रहेंगे. पहले दिन, सोमवार को बाबा फौजदारीनाथ के दरबार में करीब 45 हजार श्रद्धालुओं ने शौलपुत्री स्वरूप माता की पूजा-अर्चना की. मंदिर प्रांगण में विधिपूर्वक कलश स्थापन कर नवरात्रि का शुभारंभ किया गया. भक्तों ने अपने घरों में भी कलश स्थापित कर पूजा प्रारंभ की. गर्भगृह में पुजारी ने फूल, इत्र, घी, दूध, दही, शक्कर, फल, मधु, धोती, साड़ी और जनेऊ अर्पित कर भोलेनाथ की सरकारी पूजा की. पंडित सुधाकर झा के अनुसार पूजा तीन प्रकार की होती है—राजसी, तामसी और सात्विक . पहले दिन शैलपुत्री की पूजा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है. नवरात्र व्रत जीवन में समृद्धि लाता है. शुभ स्थान की मृतिका में जौ, गेहूं और बोया रखकर, कलश पर सोना या चांदी की मृतिका या चित्र स्थापित कर माता दुर्गा की पूजा की गयी. मूर्ति न होने पर स्वास्तिक और त्रिशूल का चिह्न बनाकर पूजा संपन्न की गयी. नवरात्रि में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की विधिपूर्वक पूजा की जाती है. भक्तों की सुरक्षा के लिए मंदिर में सुरक्षा बलों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. इस प्रकार नवरात्र का पर्व श्रद्धालुओं में भक्ति और उत्साह का वातावरण बना रहा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

