दुमका. दुमका जिले में शिक्षा का नया अध्याय लिखने की दिशा में एक बार फिर बड़ा कदम बढ़ाया गया है. केंद्र सरकार के “नवभारत साक्षरता अभियान” के तहत वर्ष 2030 तक जिले के 1.5 लाख से अधिक असाक्षर महिला-पुरुषों को साक्षर बनाने का लक्ष्य तय किया गया है. जिले के 1054 जन चेतना केंद्रों के माध्यम से यह अभियान संचालित है. अविभाजित बिहार के 90 के दशक में दुमका में पहली बार निरक्षरता उन्मूलन की पहल “सम्पूर्ण साक्षरता अभियान” के रूप में हुई थी. 1992 में शुरू हुए इस अभियान से लेकर अब तक “साक्षर भारत” और “पढ़ना-लिखना अभियान” जैसे कई चरणों से गुजरते हुए दुमका का साक्षरता आंदोलन अब “नवभारत साक्षरता कार्यक्रम” के रूप में नयी ऊर्जा प्राप्त कर रहा है. झारखंड बनने के बाद 2009-10 में “साक्षर भारत” कार्यक्रम के तहत 2010 में हुए सर्वे में 4 लाख 18 हजार असाक्षर महिला-पुरुष चिह्नित हुए थे. 2018 तक चले इस कार्यक्रम से 2.5 लाख से अधिक लोगों ने साक्षरता पायी. 2020-21 में “पढ़ना-लिखना अभियान” कोरोना काल में बाधित हुआ, लेकिन 2022-23 में नीति आयोग के सहयोग से महिला साक्षरता कार्यक्रम चला और इसी अवधि में केंद्र प्रायोजित “नवभारत साक्षरता कार्यक्रम” की शुरुआत हुई.
क्या कहते हैं पदाधिकारी :
यह अभियान अब 2030 तक चलेगा. साक्षरता की इस यात्रा ने दुमका की तस्वीर बदल दी है. 1991 में जिले की साक्षरता दर मात्र 27.9 प्रतिशत थी—जिसमें पुरुष साक्षरता 40.5 और महिला साक्षरता सिर्फ 14 प्रतिशत थी. उस समय तत्कालीन उपायुक्त अंजनी कुमार सिंह के नेतृत्व में चलाए गए अभियान ने इतिहास रचा और दुमका को राष्ट्रीय स्तर पर डॉक्टर सत्येन मिश्रा लिटरेसी अवार्ड मिला. तीन दशक बाद दुमका की साक्षरता दर बढ़कर 62.54 प्रतिशत (पुरुष 75.17%, महिला 49.60%) हो चुकी है. अब “नवभारत साक्षरता अभियान” जिले के हर घर तक शिक्षा का उजाला पहुंचाने की नयी कोशिश है.
– अशोक सिंह, जिला कार्यक्रम समन्वयक, जिला साक्षरता समिति, दुमका.B
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