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Dhanbad News : धनबाद में हर दिन 10 घंटें की बिजली कटौती, त्योहार से पहले व्यापारियों से लेकर छात्र तक बेहाल

घंटों कटौती से अस्पतालों में जीवन रक्षक उपकरण चलाना मुश्किल, व्यापारियों को हर दिन डीजल पर खर्च करने पड़ रहे पांच से सात हजार रुपये

कोयले से पूरे देश को रोशन करने वाला धनबाद पिछले एक माह से अंधेरे में है. कभी डीवीसी, तो कभी जेबीवीएनएल के मेंटेनेंस व खराबी के नाम पर रोजाना आठ से 10 घंटे तक बिजली की कटौती की जा रही है. इस बीच मौसम खराब होने पर संकट और बढ़ जाता है. बार-बार बारिश, आंधी या हल्की सी तेज हवाओं के कारण जेबीवीएनएल के ट्रांसफाॅर्मर और लाइन उपकरणों में तकनीकी खराबी आ रही है. नतीजा घंटों बिजली सप्लाई ठप रहती है और लोगों को अंधेरे में रहना पड़ रहा है. स्थिति यह है कि सुबह से लेकर रात तक अलग-अलग समय में घंटों बिजली गायब रहती है. इसका असर हर वर्ग के लोगों पर पड़ रहा है.

व्यापारियों की बढ़ी चिंता, जेनरेटर ही विकल्प :

त्योहारों का मौसम नजदीक है. बाजार में ग्राहकों की चहल-पहल बढ़ रही है. इस बीच बिजली कटौती से व्यापारी वर्ग सबसे ज्यादा परेशान है. दुकानों में घंटों अंधेरा छाया रहता है. छोटे दुकानदारों के पास जेनरेटर का विकल्प नहीं है. इससे ग्राहक लौट रहे हैं, जिनके पास जेनरेटर है, उन्हें रोजाना 10-12 घंटे डीजल जलाने पर औसतन 5-7 हजार रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है. बड़े शोरूम और मॉल संचालकों के अनुसार माह के अंत तक अतिरिक्त खर्च लाखों तक पहुंच जा रहा है.

अस्पताल भी नहीं अछूते, इलाज की लागत बढ़ी :

धनबाद के निजी अस्पताल और नर्सिंग होम भी बिजली संकट से अछूते नहीं हैं. जीवन रक्षक उपकरणों को सुचारू रूप से चलाने के लिए अस्पतालों को 24 घंटे निर्बाध बिजली की आवश्यकता होती है. रोजाना की कटौती से अस्पतालों को 20-25 हजार रुपये प्रति दिन डीजल पर खर्च करना पड़ रहा है. अस्पताल संचालकों के अनुसार डीजल की कीमतें पहले से ऊंची हैं. ऐसे में हर दिन 20-25 हजार रुपये अतिरिक्त खर्च से इलाज की लागत बढ़ रही है. इसका सीधा असर मरीजों पर पड़ सकता है.

छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई हो रही बाधित :

बिजली कटौती का असर छात्रों पर भी पड़ रहा है. शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी शिकायत कर रहे हैं कि रोजाना घंटों बिजली गायब रहने से ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी प्रभावित हो रही है. शाम को पढ़ाई के समय बिजली का जाना सबसे बड़ी समस्या है. गांवों में तो जेनरेटर और इनवर्टर का विकल्प भी सीमित है. इससे 21वीं सदी में छात्रों को मोमबत्ती या लालटेन के सहारे पढ़ाई करनी पड़ रही है.

आम लोगों का कामकाज हो रहा प्रभावित :

आम लोग भी इस कटौती से बेहाल हैं. दिन में भीषण गर्मी और रात में उमस ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. फ्रिज और कूलर ठप पड़ जाते हैं. इससे खाद्य सामग्री खराब होने लगी है. गृहिणियों के अनुसार रोजाना की कटौती ने घर का कामकाज अस्त-व्यस्त कर दिया है. बुजुर्ग और छोटे बच्चे लगातार उमस और गर्मी से परेशान हैं.

उद्योग धंधों का उत्पादन हो रहा प्रभावित :

धनबाद कोयलांचल क्षेत्र होने के साथ-साथ छोटे-छोटे उद्योगों का केंद्र भी है. यहां के वर्कशॉप, मॉल और फैक्टरियां बिजली पर निर्भर है. लगातार कटौती से इन उद्योगों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है. छोटे उद्योग संचालक कहते हैं कि जेनरेटर से उत्पादन करना लागत के लिहाज से संभव नहीं है. इससे रोजगार पर भी खतरा मंडराने लगा है.

घंटों बिजली कटौती से लोगों में नाराजगी :

लगातार बिजली कटौती से लोगों में नाराजगी है. उपभोक्ताओं के अनुसार कभी मेंटेनेंस, तो कभी तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर रोजाना कटौती की जा रही है. इस बीच मौसम खराब होने पर घंटों बिजली काट दी जाती है. पूछने पर कोई बताने वाला नहीं है. बिजली कटौती के बाद जेबीवीएनएल के अधिकारी अपना फोन बंद कर देते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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