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डॉक्टर की लापरवाही से मौत पर न्याय के लिए क्या करें? प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में अधिवक्ता ने दी ये सलाह

Prabhat Khabar Online Legal Counseling: धनबाद में आयोजित प्रभात खबर के लीगल काउंसेलिंग में सेवा विवाद से संबंधित मामले पूछे गए. धनबाद कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विकास कुमार ने ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग के दौरान धनबाद, बोकारो और गिरिडीह के लोगों को कानूनी सलाह दी. उन्होंने कहा कि अगर गलत इलाज का साक्ष्य है तो डॉक्टर्स के खिलाफ भी कार्रवाई होती है.

Prabhat Khabar Online Legal Counseling: धनबाद-भूमि, संपत्ति, दुर्घटनाओं के लिए बीमा कंपनियों से क्लेम और पारिवारिक विवादों में कानूनी रास्ता अपनाने से पहले आपसी सहमति से सुलझाने का प्रयास करना चाहिए. कई बार ऐसे मामले केवल बातचीत और समझौते से हल हो सकते हैं. अदालतों के चक्कर में पड़ने से समय और धन दोनों की हानि होती है. यह सुझाव रविवार को प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग के दौरान धनबाद कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विकास कुमार ने दिए. लीगल काउंसेलिंग के दौरान धनबाद, बोकारो, गिरिडीह से कई लोगों ने कानूनी सलाह ली.

डॉक्टर की लापरवाही से मौत पर न्याय के लिए क्या करें?


मुनीडीह से उपेंद्र कुमार का सवाल : एक चिकित्सक के गलत ऑपरेशन से मेरी भाभी की मृत्यु हो गयी. उनकी मृत्यु से पहले इलाज के दौरान तीन अस्पतालों की रिपोर्ट में भी इसे इंटरनल इंजरी बतायी गयी. क्या इन डॉक्यूमेंट्स के आधार पर हम उस डॉक्टर के खिलाफ केस कर सकते हैं?
अधिवक्ता की सलाह : ऐसे तो डॉक्टर्स को काफी हद कानूनी सुरक्षा प्राप्त होती है, लेकिन फिर भी उन पर केस किया जा सकता है. आप तीनों अस्पताल के सभी मेडिकल डॉक्यूमेंट, रिपोर्ट, डॉक्टरों की राय, डिस्चार्ज सारांश और बिल सुरक्षित रखें. आप स्थानीय उपभोक्ता फोरम में डॉक्टर और अस्पताल के खिलाफ मुआवजा के लिए केस दर्ज कर सकते हैं या फिर क्षतिपूर्ति और हर्जाने के लिए सिविल केस दायर किया जा सकता है. साथ ही डॉक्टर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो सकता है.
गिरिडीह से आशीष कुमार का सवाल : मैंने दवा का होलसेल कारोबार बंद करते समय कंपनी को बची दवाइयां लौटा दी थीं और लेजर शून्य दिखाया गया था, लेकिन रिसीविंग नहीं ली. अब कंपनी कह रही है कि सारी दवाइयां वापस नहीं हुईं और कानूनी कार्रवाई की धमकी दे रही हैं. मुझे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : आपके पास रिसीविंग नहीं है, इसलिए सबूत कमजोर है. सबसे पहले कंपनी से लिखित में बकाया विवरण (स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट) मांगें. यदि उन्होंने लेजर शून्य दिखाया था, तो उसका प्रमाण प्रस्तुत करें. यदि विवाद बना रहे, तो वकील के माध्यम से नोटिस भेजें. जरूरत पड़ने पर उपभोक्ता फोरम या सिविल कोर्ट में कंपनी के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं. भविष्य में ऐसे मामलों में हमेशा रिसीविंग लेना जरूरी है.

सहारा का पैसा वापस कैसे मिलेगा?


बोकारो से संजय शर्मा का सवाल : मैंने सहारा में फिक्स डिपॉजिट किया था. इसकी अवधि पूरी होने के बाद भी मुझे पैसा वापस नहीं मिला. सरकार द्वारा बताये गये तरीके से मैंने ऑनलाइन आवेदन भी किया है. ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : यदि आपने सहारा रिफंड के लिए सरकार की आधिकारिक पोर्टल पर आवेदन कर दिया है और पैसा अभी तक नहीं मिला है, तो सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि आपका आवेदन सफलतापूर्वक सबमिट हुआ है और आपको रसीद नंबर मिला है या नहीं. यदि यह सब सही और इसके लिये भी लंबा बीत चुका है, तो आप उपभोक्ता फोरम में मामले को ले जा सकते हैं.
बगोदर से जगत नारायण साव का सवाल : मैंने अवमानना का एक केस रांची हाइ कोर्ट में दायर किया है. लेकिन जिस वकील के माध्यम से केस किया है, उनका व्यवहार काफी असहयोगात्मक है और वे केस की सही जानकारी भी नहीं देते. ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : आपको किसी एक वकील पर निर्भर रहने की बाध्यता नहीं है. आप नये वकील को वकालतनामा देकर केस ट्रांसफर कर सकते हैं. पुराने वकील को आपसे केस की फाइल लौटानी होगी. यदि वकील का आचरण अनुचित है, तो अपने वकील खिलाफ झारखंड स्टेट बार काउंसिल या बार में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.
पुटकी से धीरेंद्र पंडित का सवाल : मैं अपने बेटे की शादी करने जा रहा हूं. लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से लड़की पक्ष द्वारा दहेज के झूठे मामले दर्ज कराने का चलन बढ़ा है, उससे मैं चिंतित हूं. क्या शादी से पहले ऐसा कोई एग्रीमेंट किया जा सकता है, जिससे आगे चलकर यदि कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो, तो हम किसी परेशानी में न फंसें?
अधिवक्ता की सलाह : कानून में शादी से पहले दहेज विरोधी झूठे मुकदमों से बचने के लिए कोई औपचारिक एग्रीमेंट मान्य नहीं है. लेकिन फिर भी आप कुछ व्यावहारिक और कानूनी उपाय कर सकते हैं. पहला उपाय है कि आप कोर्ट मैरेज करें. या फिर बिना दहेज विवाह करें. शादी पारदर्शिता रखें. विवाह की वीडियो रिकॉर्डिंग व दस्तावेजीकरण करायें. इससे यह स्पष्ट रहे कि कोई दहेज नहीं दिया गया और न लिया गया. शादी से पहले प्री-नप्शियल एग्रीमेंट का अपने देश कानूनी दर्जा सीमित है, लेकिन आप दोनों पक्षों के बीच एक लिखित सहमति-पत्र (एफिडेविट के रूप में) कर सकते हैं कि शादी बिना दहेज हो रही है. गवाह के रूप में दोनों पक्षों के लोगों रखें. यह अदालत में सबूत के तौर पर मददगार हो सकता है.
दुग्दा से सुरेश महतो का सवाल : मेरे परिवार को वर्ष 1908 में हुकूमनामा के आधार पर एक प्लॉट मिला था. इस जमीन की रसीद वर्ष 2014 तक कटी है. लेकिन वर्ष 2014 में सरकार ने इसे गैरमजरुआ खास घोषित कर दिया. वर्तमान में हम इस जमीन पर खेती कर रहे हैं, लेकिन अब कुछ लोग इस पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में हमें क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : आप पहले अंचल कार्यालय से ऑनलाइन भूमि रिकॉर्ड और खतियान की वर्तमान प्रविष्टि जांचें. यदि जमीन गलत तरीके से गैरमजरुआ खास दर्ज की गयी है, तो अंचलाधिकारी के समक्ष आपत्ति दायर करें. कोई बाहरी व्यक्ति जबरन कब्जा करने का प्रयास करे, तो तुरंत स्थानीय थाना में शिकायत दर्ज करायें. साथ ही सिविल कोर्ट में टाइटल सूट और स्थायी निषेधाज्ञा के लिए वाद दायर करें.

अपनी रैयती जमीन को कैसे बचाएं?


तेतुलमारी से मनोज कुमार महतो का सवाल : तेतुलमारी में मेरी रैयती जमीन के बगल में एक फैक्ट्री है. उसका संचालक मेरी जमीन पर कब्जा करना चाहता है. इसके लिए उसने कोर्ट में केस भी कर दिया है. एक साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन अब तक हमें कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है. ऐसी स्थिति में हमें क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : ऐसे मामलों में नोटिस का इंतजार करना सही नहीं होता है. कभी-कभी जानबूझकर नोटिस की सेवा (सर्विस) में देरी की जाती है. इसलिए सक्रिय रहना जरूरी है. यदि केस लंबित है, तो बिना नोटिस मिले भी आप वकील के माध्यम से अदालत में पक्षकार बनकर अपनी तरफ से वकालतनामा और लिखित बयान दाखिल करें. अपनी रैयती जमीन के सभी कागजात (जमाबंदी, रसीद, खाता-खेसरा, नक्शा आदि) कोर्ट को उपलब्ध करवायें.
गिरिडीह से चिंटू कुमार का सवाल : मेरी रैयती जमीन के ऑनलाइन रिकार्ड में खाता नंबर गलत चढ़ गया है. इसे सुधारने के लिए मुझे क्या करना चाहिए ?
अधिवक्ता की सलाह : अपनी जमीन के सभी मूल कागजात जैसे रसीद, रजिस्टर-II की नकल, खाता-खेसरा, नक्शा आदि के साथ अपने क्षेत्र के अंचलाधिकारी (सीओ) को लिखित आवेदन दें और गलत प्रविष्टि की जानकारी देकर खाता नंबर सुधारने का अनुरोध करें. अगर यहां काम नहीं होता है, तो अपने जिला के डीसीएलआर के पास सभी दस्तावेज के साथ शिकायत करें.
राजधनवार से लक्ष्मण महतो का सवाल : मेरी दादी के नाम पर एक प्रॉपर्टी थी. उनकी मृत्यु हो चुकी है और मेरे पिता इकलौती संतान थे. अपने जीवनकाल में पिता ने हम चार भाइयों के बीच दानपत्र के माध्यम से उस प्रॉपर्टी का बंटवारा कर दिया. क्या यह प्रक्रिया कानूनी रूप से मान्य है?
अधिवक्ता की सलाह : हां, यह प्रक्रिया कानूनी रूप से मान्य है. चूंकि आपके पिता इकलौती संतान थे, इसलिए पूरी संपत्ति का स्वामित्व कानूनी रूप से उन्हीं को मिला. जब संपत्ति आपके पिता के नाम पर आ गयी उन्हें संपत्ति का विभाजन या दान करने का अधिकार था. इसलिए उन्होंने अपने जीवनकाल में आपने चार पुत्रों के बीच दानपत्र के माध्यम से जो बंटवारा किया है, वह विधिक रूप से मान्य माना जाएगा.
गिरिडीह से जितेन्द्र कुमार सवाल : मेरे घर के पास एक गैरमजरुआ प्लॉट है. कुछ लोगों ने हाल में उस पर कब्जा कर निर्माण कर लिया है और वहां अवैध शराब बनाने का काम भी कर रहे हैं. बिना सामने आये, उन्हें हटाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : आप अपने घर के आस पास रहने वालों के सहयोग से गुमनाम शिकायत करें. यह शिकायत आप अपने जिले डीसी, एसपी, राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी, मुख्यमंत्री के साथ प्रधानमंत्री तक से करें. इससे कहीं न कहीं शिकायत अवश्य सुनी जायेगी और कार्रवाई अवश्य होगी.

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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