झारखंड आंदोलन के पुरोधा बिनोद बिहारी महतो के प्रतिमा अनावरण के बहाने इसका श्रेय लेने की होड़ झामुमो-भाजपा के बीच लग गयी है. इसके पीछे बड़ी वजह कुड़मी वोट बैंक को साधना है. दोनों दलों के बीच इस लड़ाई में तीसरा कोण जेएलकेएम बना रही है. कोयलांचल की दोनों संसदीय सीट धनबाद एवं गिरिडीह में कुड़मी मतदाताओं की प्रभावशाली संख्या है. धनबाद, बोकारो एवं गिरिडीह के 16 विधानसभा सीटों में कई सीटों पर इस जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. 16 में से पांच सीटों पर कुड़मी जाति के प्रत्याशियों की जीत हुई. बीबीएमकेयू परिसर में बिनोद बाबू के प्रतिमा अनावरण समारोह में धनबाद, बोकारो एवं गिरिडीह के कई बड़े नेता शामिल हुए. हर कोई इसका श्रेय लेने को आतुर दिखे. कुड़मी वोटर्स पहले झामुमो के परंपरागत वोटर माने जाते थे. लेकिन, पिछ कुछ वर्षों के दौरान इस वोट बैंक में पहले भाजपा ने सेंधमारी की. 2024 लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में जेएलकेएम ने बड़ी सेंधमारी कर भाजपा एवं झामुमो दोनों के लिए चिंता की लकीर खींच दी. जेएलकेएम सुप्रीमो जयराम महतो खुद विधायक बने. कई अन्य सीटों पर भी दमदार उपस्थिति दर्ज करायी.
कुड़मी समाज के सबसे प्रभावशाली नेता रहे बिनोद बाबू :
झारखंड आंदोलन में आदिवासी-कुड़मी का गठजोड़ बनाने में बिनोद बाबू की बड़ी भूमिका रही. पढ़ो व लड़ो का नारा दे कर समाज सुधार के लिए बिनोद बाबू ने अपनी अलग पहचान बनायी. शिवाजी समाज का गठन किया. इस क्षेत्र में आज भी सभी दल उनका नाम लेते हैं. आज के कार्यक्रम में भी सभी दल के नेता बिनोद बिहारी महतो के नाम पर यूनिवर्सिटी बनाने का श्रेय लेते दिखे. अधिकांश जन प्रतिनिधियों ने सोशल मीडिया पर भी इसका श्रेय लेने के लिए तरह-तरह के पोस्ट डाले.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है