महाशिवरात्रि का त्योहार 26 फरवरी को है. हिंदू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि का त्योहार हर साल फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. महाशिवरात्रि को लेकर शिव मंदिर में तैयारी की जा रही है. अंजनी लला मंदिर झारखंड मोड़ के पुजारी लव तिवारी ने बताया कि यहां मूर्ति स्थापित कर शिव बाबा व मां पार्वती की पूजा की जाती है. 25 फरवरी को मटकोर का कार्यक्रम है. सुहागिन महिलाएं मंगल गीत गाते हुए मटकोर करती हैं. वहां से लायी गयी मिट्टी मंदिर में रखी जाती है. इसपर शुभ कलश स्थापित किये जाते हैं. शिवरात्रि के दिन बाबा की पूजा अर्चना के बाद तीन बजे बरात निकाली जायेगी. नगर का भ्रमण कर बरात वापस मंदिर पहुंचेगी. उसके बाद बाबा को हल्दी लगायी जायेगी. तिलक चढ़ेगा. मां पार्वती को मेहंगी, हल्दी लगेगी. महिलाएं मांगलिक गीतों के साथ विवाह की रस्म पूरी करेंगी. रात्रि में शुभ विवाह होगा. 27 फरवरी को रिसेप्शन पार्टी है. 28 फरवरी को मूर्ति का विसर्जन पंपू तालाब में किया जायेगा. श्रीश्री 1008 बाबा भूतनाथ महादेव मंदिर मटकुरिया में 25 फरवरी को मंडपाच्छादन के बाद हल्दी का कार्यक्रम होगा. महाशिवरात्रि के दिन सुबह पांच बजे से नौ कर रूद्राभिषके होगा. दो बजे मंदिर परिसर से बाबा की बरात निकाली जायेगी.
संध्या में बाबा का महाकाल रूप में शृंगार किया जायेगा. रात्रि में माता पार्वती संग शुभ विवाह संपन्न कराया जायेगा. रात्रि में कीर्तन मंडली द्वारा भजन कीर्तन किये जायेंगे. किसी शिवालय में चार प्रहर की पूजा तो कहीं विशेष शृंगार की तैयारी है. कई मंदिरों में रुद्राभिषेक और धूमधाम से शिव बरात निकालने की तैयारी की जा रही है. कोयलांचल के शिवालयों में शिवरात्रि को लेकर विशेष तैयारी की जाती है. कुछ शिवालयों से बाबा भोलेनाथ की धूमधाम से बरात निकाली जाती है. भूत-पिशाच बराती बनते हैं. बरात नगर भ्रमण कर मंदिर पहुंचती है. जहां उनका स्वागत पूजा समिति द्वारा किया जाता है. इस दिन देवों के देव महादेव व माता पार्वती का शुभ विवाह होगा. सुहागिन महिलाएं अखंड सुहाग व संतान की सलामती व कुंवारी कन्याएं इच्छित वर के लिए महाशिवरात्रि का उपवास व पूजा अर्चना करती हैं.पंचांगों के अनुसार महाशिवरात्रि :
पंडित गुणानंद झा बताते हैं मिथिला पंचांग के अनुसार चतुर्दशी 26 फरवरी को सुबह नौ बजकर पच्चीस मिनट में प्रवेश कर रहा है. महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती है, इसलिए यह त्योहार 26 फरवरी को ही मनाया जायेगा. शिवरात्रि कल्याण की रात्रि होती है. इसे करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है. वहीं पंडित मनोज पांडे बताते हैं ऋृषिकेश पंचांग के अनुसार महा शिवरात्रि 26 फरवरी को सुबह नौ बजकर उन्नीस मिनट में प्रवेश कर रहा है. शिवरात्रि की पूजा संध्या काल के बाद करना शुभ रहता है. इस लिए महाशिवरात्रि का उपवास व पूजा 26 फरवरी को की जायेगी. महा शिवरात्रि का उपवास करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.कहवां के पियर माटी, कहवां के कुदाल हे… गीत गाकर सुहागिनों ने किया मटकोर तसवीर प्रतीक कीधनबाद. श्रीश्री 1008 भूतनाथ मंदिर मटकुरिया से सोमवार की संध्या सैकड़ों सुहागिनों ने पूजा अर्चना के बाद मंदिर परिसर से गीत गाते हुए मटकोर की परंपरा निभायी. मटकुरिया स्थित कुंआ के पास ””कहवां के पियर माटी, कहवां के कुदाल हे, कहवा के पांच सुहागिन माटी कोड़े जात हे… गीत गाते हुए मिट्टी कोड़कर डलिया में उठाया. उसे सिर पर उठाकर सभी नाचते गाते खुशियां मनाते मंदिर पहुंची. यहां मंदिर में मिट्टी का डाला रख बाबा के चरणों में भक्ति समर्पित कर उन्हें नमन किया. इसी मिट्टी पर महाशिवरात्रि के दिन विवाह के लिए शुभ कलश स्थापित किया जायेगा. मंगलवार को हल्दी की रस्म निभायी जायेगी. इसके लिए सुहागिनों ने मंदिर परिसर में सोमवार को हल्दी कुटने की रस्म निभायी. कल इसी हल्दी को पीसकर माता पार्वती व शिव बाबा को लगायी जायेगी. मौके पर पूनम सिंह, रीता देवी, रूपा वर्मा, सुनीता देवी, प्रेमशीला तिवारी, बेबी देवी आदि मौजूद थीं.
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