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धनबाद में जमीन के खेल में कोई हुए आबाद तो कई हुए कंगाल, निबंधन के 12-13 वर्ष बाद भी नहीं हो रहा म्यूटेशन

धनबाद में जमीन के धंधे कई लोग आबाद तो हो गये लेकिन कई लोग इसमें बर्बाद भी हो गये. सैकड़ों लोगों की जमीन म्यूटेशन अब तक नहीं हो रहा है. जिला के विभिन्न अंचलों में जमीन दलाल सक्रिय रहते हैं.

कोयलांचल में जमीन के धंधा में दर्जनों लोग आबाद हुए तो हजारों लोग बर्बाद. कई लोग तो दाने-दाने को मोहताज हो गये. इन लोगों को जमीन खरीदने के 12-14 वर्ष बाद भी जमीन पर कब्जा नहीं मिला. सैकड़ों लोगों की जमीन का म्यूटेशन नहीं हो रहा है. अंचल, निबंधन कार्यालय में सक्रिय रहते हैं दलाल : धनबाद जिला के विभिन्न अंचलों तथा दोनों निबंधन कार्यालय में जमीन दलाल सक्रिय रहते हैं.

खाता नंबर, प्लॉट नंबर बदल कर जमीन बेचवा देते हैं. कई बार तो जमीन कुछ और दिखाया जाता है. दस्तावेज किसी और का बनता है. धरातल पर कुछ और होता है. इस धंधे में कई लोग प्रत्यक्ष तो बहुत सारे लोग अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं. ऐसे धंधेबाज जान बूझ कर विवादास्पद जमीन लेते हैं.

उसका पॉवर ऑफ अटर्नी ले कर वैसे लोगों को बेचने की कोशिश होती है, जिन्हें जमीन के संबंध में कम जानकारी होती है. फर्जी कागजात के डीड की फोटोकॉपी, जमाबंदी रसीद आदि दिखा दी जाती है. साथ ही खाली भू-खंड भी. बहुत सारे उनके प्रभाव में आ कर जमीन खरीद लेते हैं. बहुत जमीन में तो एग्रीमेंट के सहारे ही लोगों को बेवकूफ बना दिया जाता है. कुछ का निबंधन हो जाता है. इसके बाद म्यूटेशन कराने या दखल लेने के समय परेशानी होती है. ऐसे मामलों में जमीन दलाल पल्ला झाड़ने लगते हैं. फिर थाना, कोर्ट तक मामला जाता है.

गैर आबाद, सीएनटी की जमीन भी बेच कर कमा लिये करोड़ों 

केस स्टडी -वन

सिंफर के रिटायर्ड वैज्ञानिक हैं. 22.10.2009 को गोविंदपुर अंचल के काशीटांड़ मौजा में पत्नी के नाम पर जमीन खरीदे थे. 16.5 डिसमिल जमीन डी पाठक नामक व्यक्ति से लिया था. हालांकि, डी पाठक ने जमीन का पावर ऑफ अटर्नी सरयू महतो, देवेंद्र नाथ महतो, दिनेश महतो, कामदेव महतो, सोमर महतो को दे दिया था. झारखंड बनने के बाद जमीन की खरीद-बिक्री में कमीशन का धंधा तेज हुआ.

रैयती के साथ-साथ गैर आबाद, सीएनटी, सरकारी जमीन की भी खूब खरीद-बिक्री हुई. जमीन की रजिस्ट्री तो उक्त साइंटिस्ट की पत्नी के नाम हो गया. लेकिन, आज 13 वर्ष बाद भी जमीन का म्यूटेशन नहीं हो पाया. दखल कब्जा भी नहीं हो पाया.

केस स्टडी – टू

झरिया के एचके लाल ने वर्ष 2013 में पांच कट्ठा जमीन खरीदी. यह जमीन भी गोविंदपुर अंचल के काशीटांड़ मौजा में है. यह जमीन सिंह बंधुओं की थी. उनलोगों ने बाबू खान, गणेश रवानी को पावर ऑफ अटर्नी को दिया था. इनकी जमीन का भी आज तक म्यूटेशन नहीं हो पाया. जमीन खरीदने वाले आज भी मालिकाना हक के लिए परेशान हैं.

जमीन खरीदने में बरतें सावधानी 

जमीन खरीदने के पहले सावधानी बरतें. संबधित अंचल कार्यालय या भू-बंदोबस्त कार्यालय में जा कर खतियान का ब्योरा निकाल लें. जिस जमीन का अद्यतन लगान रसीद कटा हो तथा पूर्णत: खतियानी हो. उसे ही खरीदें. जो व्यक्ति सीएनटी के दायरे में आते हैं वे सीएनटी खाते के जमीन ले सकते हैं. हालांकि, इस संबंध में भी जरूरी सरकारी प्रक्रिया को जरूर पूरी कर लें.

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