धनबाद.
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक, होलिका दहन गुरुवार की रात किया गया. शुभ मुहूर्त में रात साढ़े 10 बजे के बाद पूजा-अर्चना कर होलिका दहन किया गया. इस दौरान परंपरा के अनुसार अग्नि को नारियल, भुट्टे, अक्षत, गुलाल, कंडे, पुष्प, गेंहू की बालियां, काले तिल, बताशे गोबर के उपले आदि समर्पित कर अग्निदेव से अपने व अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना की. होलिका दहन का दौर देर रात तक चला. शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी परंपरागत ढंग से होलिका दहन किया गया. इसके साथ ही शुक्रवार से रंगोत्सव शुरू हो गया. इस बार होली दो दिन शुक्रवार व शनिवार को अलग-अलग जगहों पर मनायी जायेगी. त्योहार को लेकर उत्साह और उमंग का माहौल है. गुरुवार को भी जगह-जगह होली मिलने का आयोजन हुआ.रात भर फगुआ के धुन पर थिरकते रहे लोग
शहर भर में होलिका दहन के बाद लोगों ने होली मनानी शुरू कर दी. लोग रात भर फगुआ धुन पर झूमते रहे. शहर भर में लोगों ने विशेष आयोजन की तैयारी की. होली गीत गाने वालों की टोली, रंगों आदि का इंतेजाम किया गया है.
पारंपरिक व्यंजनों की खुशबू से महका घर
होली दहन के दौरान आग में डालने को लेकर परंपरा के अनुसार लोगों ने बड़ी, पकौड़ी, गुजिया आदि बनाये गये. होली के मौके पर सभी घरों में पुआ, दही बड़े आदि पारंपरिक व्यंजन आदि बनाये जायेंगे.
गलियों में गूंज रहे होली के गीत
त्योहार को लेकर गली-मुहल्लों में होली के गीत गूंजने लगे हैं. जगह-जगह लोगों की मंडली ढोल- मंजीरों के साथ फगुआ गाकर माहौल को और रंगीन बना रहे हैं.
होली आपसी प्रेम व भाईचारे का है त्योहार
होली त्योहार आपसी प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है. इस दिन लोग अपनी पुरानी दुश्मनी और मनमुटाव को भूलकर एक साथ आने का संदेश देता है.
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