बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालय में, जहां अधिकांश छात्र स्टेट बोर्ड से स्कूली शिक्षा पूरी कर यहां उच्च शिक्षा के लिए आते हैं, हिन्दी आज भी उनकी प्राथमिक भाषा है. स्नातकोत्तर स्तर पर हिंदी विषय छात्रों की पहली पसंद है, क्योंकि वे अपनी मातृभाषा में अध्ययन कर विषय को सहजता से समझ पाते हैं और बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. नयी शिक्षा नीति के तहत हिंदी समेत क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इससे छात्रों को अपनी भाषा में उच्च शिक्षा का अवसर मिल रहा है. इससे शिक्षा का दायरा व्यापक बन रहा है और भाषा आधारित असमानताओं को कम करने में मदद मिल रही है. बीबीएमकेयू में हिंदी को चुनने वाले छात्रों की बड़ी संख्या यह स्पष्ट करती है कि मातृभाषा में पढ़ाई न केवल शैक्षणिक सफलता का आधार है, बल्कि आत्मविश्वास और व्यक्तित्व विकास का भी मजबूत स्तंभ बन रही है. इससे उच्च शिक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को नयी दिशा और प्रेरणा मिल रही है.
मानविकी और सामाजिक विज्ञान संकाय में हिंदी की प्राथमिकता
बीबीएमकेयू के मानविकी और सामाजिक विज्ञान संकाय में हिन्दी माध्यम की लोकप्रियता स्पष्ट रूप से दिखती है. यहां लगभग 95 प्रतिशत छात्र हिन्दी में पढ़ाई करते हैं. अंग्रेजी और उर्दू जैसे कुछ विशिष्ट विषयों को छोड़कर अन्य सभी विषयों में छात्रों की पहली पसंद हिन्दी है. इसका मुख्य कारण यह है कि छात्र अपनी मातृभाषा में अध्ययन कर विषय को आसानी से समझते हैं. इससे उनकी शैक्षणिक पकड़ मजबूत होती है. इसके अलावा, स्टेट बोर्ड से पढ़ाई कर आने वाले छात्रों के लिए हिन्दी भाषा अधिक सहज और आत्मीय होती है. इतिहास विभाग में सहायक प्राध्यापक डॉ उमेश कुमार और राजनीति शास्त्र विभाग में सहायक प्राध्यापक डॉ जितेन्द्र आर्यन बताते हैं. छात्र हिन्दी के साथ खुद को अधिक सहज महसूस करते हैं.कॉमर्स संकाय में हिन्दी माध्यम की स्थिति
कॉमर्स संकाय में हिन्दी माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या लगभग 65 प्रतिशत है. यद्यपि यह मानविकी संकाय की तुलना में कम है, फिर भी हिन्दी को लेकर छात्रों की रुचि स्पष्ट है. स्टेट बोर्ड से पढ़कर आने वाले छात्र सामान्यत: हिन्दी में अध्ययन करना पसंद करते हैं, क्योंकि यह उनके लिए समझने और नोट्स बनाने में आसान होता है. हालांकि, कॉमर्स से जुड़े कुछ विषयों में अंग्रेजी शब्दावली का उपयोग अधिक होता है. इससे छात्रों को अंग्रेजी की आवश्यकता महसूस होती है. कॉमर्स संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ नकुल प्रसाद के अनुसार अधिकांश छात्र अपनी भाषा में पढ़ाई कर बेहतर परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं. इसमें अधिक सहज होते हैं.विज्ञान संकाय में अंग्रेजी माध्यम की विवशता
विज्ञान संकाय में लगभग 95 प्रतिशत छात्र अंग्रेजी छात्र अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करते हैं. विज्ञान संकाय के सभी विषयों में अधिकांश छात्र स्टेट बोर्ड से पढ़ाई कर यहां आते हैं और उनकी अंग्रेजी इतनी स्पष्ट नहीं होती, फिर भी वे अंग्रेजी में ही परीक्षा देते हैं. क्योंकि उनकी सभी पाठ्य पुस्तकें अंग्रेजी में उपलब्ध हैं. इससे छात्रों को भाषा की कठिनाइयों के बावजूद अंग्रेजी माध्यम अपनाना पड़ता है. शेष पांच प्रतिशत छात्र हिन्दी माध्यम में परीक्षा नहीं देते बल्कि ‘हिंग्लिश’ का उपयोग करते हैं. भौतकी विभाग में सहायक प्राध्यापक डॉ दिलीप कुमार गिरी के अनुसार हिंदी में पाठ्य सामग्रियों की कम उपलब्धता के कारण छात्र अंग्रेजी माध्यम चुन रहे हैं. हालांकि उन्हें विषय को हिन्दी में ही समझाया जाता है. वहीं पांच प्रतिशत के करीब छात्र अंग्रेजी और हिन्दी मिलाकर परीक्षा में उत्तर लिखते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

