स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने झारखंड नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011 में संशोधन किया है. इसे लेकर झारखंड सरकार के प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने एक पत्र जारी किया. इसमें बताया गया कि विभाग द्वारा झारखंड नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार नियमावली में दूसरा संशोधन किया गया है. इस संशोधन का विस्तार पूरे राज्य में होगा. साथ ही प्राइवेट स्कूल की मान्यता देने की नियमावली में बदलाव किया गया है. निदेशालय की ओर से जारी पत्र के अनुसार अब प्राइवेट स्कूलों को जिला स्तर पर ही मान्यता मिलेगी. इसके लिए जिला स्तर पर एक समिति का गठन होगा. इस समिति की अध्यक्षता उपायुक्त करेंगे. इसमें सदस्य के रूप में अपर समाहर्ता, जिला शिक्षा पदाधिकारी, संबंधित क्षेत्र के सांसद या उनके प्रतिनिधि, संबंधित क्षेत्र के विधायक या उनके प्रतिनिधि को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. जबकि जिला शिक्षा अधीक्षक इस टीम में सचिव सदस्य के रूप में शामिल होंगे. स्कूलों को आरटीइ की मान्यता देने के लिए जिला शिक्षा अधीक्षक के पास आवेदन करना होगा. विभागीय स्तर पर भौतिक सत्यापन व अन्य सत्यता की जांच के बाद मान्यता से संबंधित फाइल को उक्त कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा. इसके बाद यह कमेटी मान्यता पर कोई निर्णय लेगी. बैठक के लिए कम से कम 50 फीसदी सदस्यों का उपस्थित होना अनिवार्य किया गया है. इस समिति के द्वारा किसी भी स्कूल को मान्यता संबंधित आदेश देने के बाद जिला शिक्षा अधीक्षक को अंतिम रूप से प्राथमिक शिक्षा निदेशक से अनुमोदन के बाद ही हासिल होगा. गौरतलब है कि पिछले दिनों आरटीइ की मान्यता देने की शर्तों में संशोधन किया गया था. जिसमें तय किया गया था कि जिला स्तर पर ही कमेटी द्वारा मान्यता दे दी जायेगी. इस नियम के तहत ही पिछले दिनों उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक कर कुछ स्कूलों को मान्यता दी गयी थी. लेकिन, एक बार फिर इसमें बदलाव करते हुए प्राथमिक शिक्षा निदेशक का अनुमोदन लेना अनिवार्य कर दिया गया है. पूर्व में निदेशक का अनुमोदन लेना अनिवार्य था, इसे संशोधित कर जिला स्तर पर उपायुक्त को यह शक्ति दी गयी थी. एक बार फिर निदेशक की अनुमति लेनी होगी.
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