धनबाद.
मारांग बुरु (पारसनाथ पहाड़) को अतिक्रमण मुक्त करने को लेकर शुक्रवार को जिला समाहरणालय के पास सोनोत संथाल समाज केंद्रीय समिति के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन किया गया. अध्यक्षता समाज के केंद्रीय सचिव अनिल कुमार टुडू ने की. उन्होंने कहा कि जैन समुदाय के लोगों को मात्र 86 डिसमिल जमीन पर ही पूजा करने का अधिकार दिया गया है. उन्हें स्वामित्व नहीं मिला है. पूरा पारसनाथ क्षेत्र इको सेंसेटिव जोन घोषित है, जहां कोई भी कंक्रीट का काम नहीं होना है, लेकिन पूरे मारांग बुरु (पारसनाथ पहाड़) के शिखर में जैनियों द्वारा प्रकृति से छेड़छाड़ कर पेड़ों/जंगलों को काटकर कंक्रीट का जंगल बनाया जा रहा है. आदिवासी समुदाय इसका विरोध करता है.राष्ट्रपति को मांग पत्र देगा आदिवासी समाज
केंद्रीय संयोजक सदस्य रमेश टुडू ने कहा कि संथाल आदिवासी प्रकृति पूजक हैं. आदिकाल से आदिवासियों का पारसनाथ पहाड़ ही मारांग बुरु है. मारांग बुरु ही संथाल आदिवासियों के सबसे बड़े व महान इष्ट देव हैं. आज जैन समुदाय आदिवासियों के महान इष्ट देव मारांग बुरु को छीनने का प्रयास कर रहा है. इस कुकृत्य से आदिवासी समाज आक्रोशित है और इसका पुरजोर विरोध करता है. श्री टुडू ने कहा कि आगामी 12 मार्च को पूरे झारखंड से आदिवासी समाज के लोग अपने महान इष्ट देव मारांग बुरु को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए लाखों की संख्या में विशाल विरोध प्रदर्शन कर महामहिम राष्ट्रपति को मांग पत्र देगा. प्रदर्शन में गुरुचरण बास्के, राजेंद्र किस्कू, लखींद्र हांसदा, प्रवीण हांसदा, मैनेजर हेंब्रम, बिरजू सोरेन, अरुण हेंब्रम, राजकुमार हेंब्रम, श्रीकांत मुर्मू, नाजीर टुडू, सोनेलाल मरांडी, मनोज मरांडी, शिवकुमार सोरेन, बैजनाथ हेंब्रम, अजीत हेंब्रम, शिवचरण हेंब्रम, अरुण मुर्मू, महावीर हांसदा समेत बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे.
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