धनबाद.
जिले के गोविंदपुर-बाघमारा रोड, टुंडी मार्ग व जीटी रोड तथा बोकारो के चास-बेरमो मार्ग पर आये दिन सड़क हादसे होते रहते हैं. तेज गति, ओवरटेकिंग और ब्लैक स्पॉट की अनदेखी की वजह से इन क्षेत्रों में दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है. हादसों में अक्सर लोगों की जान चली जाती है. इस पर नियंत्रण के लिए परिवहन विभाग ने गंभीर पहल की है. राज्य और केंद्र सरकार की संयुक्त योजना के तहत धनबाद, बोकारो, रांची व जमशेदपुर जिले को पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है. इन जिलों के सबसे ज्यादा दुर्घटना संभावित क्षेत्रों को चिह्नित कर वहां इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाये जायेंगे. इन डिवाइसों से न केवल दुर्घटना स्थलों की लाइव निगरानी होगी, बल्कि वाहन चालकों की गति पर भी नजर रखी जायेगी. रांची मुख्यालय से पूरे नेटवर्क की मॉनीटरिंग की जायेगी, ताकि समय पर जानकारी मिल सके और सुरक्षा के लिए तुरंत कार्रवाई हो.क्या होगा फायदा
परिवहन विभाग की योजना के तहत जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीओ) उन इलाकों का सर्वे करेंगे, जहां सबसे ज्यादा हादसे हो रहे हैं. ब्लैक स्पॉट की पहचान करने के बाद वहां इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाये जायेंगे. डिवाइस के माध्यम से वाहनों के मूवमेंट, चालकों की गति और ट्रैफिक की स्थिति पर नजर रखी जायेगी. जरूरत पड़ने पर वहां गति सीमा भी निर्धारित की जायेगी. नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर जुर्माना लगाया जायेगा. विभाग का मानना है कि तकनीकी हस्तक्षेप से सड़क दुर्घटनाओं में 30-40 प्रतिशत तक कमी आ सकती है.
लाइव निगरानी रांची से
डिवाइसों के माध्यम से रांची में स्थापित कंट्रोल रूम से सभी स्पॉटों की लाइव निगरानी संभव होगी. इस क्रम में यह देखा जायेगा कि किन कारणों से हादसे हो रहे हैं. यदि सड़क की संरचना में कमी पायी जाती है, तो संबंधित विभाग से समन्वय कर उसमें सुधार कराया जायेगा. इसके अलावा मोटर वाहन निरीक्षकों की भी तैनाती की जायेगी, ताकि मौके पर जाकर वाहनों की स्थिति, ओवरलोडिंग और अन्य तकनीकी खामियों की जांच की जा सके.
जनसहभागिता और जागरूकता पर जोर
परिवहन विभाग का मानना है कि सिर्फ तकनीक से दुर्घटनाएं कम नहीं होंगी. इसके लिए लोगों में भी जागरूकता जरूरी है. इसलिए जिले में सड़क सुरक्षा अभियान चलाने की भी योजना बनायी गयी है. स्थानीय लोगों को यातायात नियमों के पालन, हेलमेट और सीट बेल्ट के महत्व तथा निर्धारित गति सीमा के पालन के लिए प्रेरित किया जायेगा. विभाग का लक्ष्य है कि इस मॉडल को सफल बनाने के बाद इसे राज्य के अन्य जिलों में भी लागू किया जायेगा, ताकि सड़क हादसों की संख्या को न्यूनतम स्तर तक लाया जा सके.
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