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बेरमो में बोले बीसीसीएल के CMD: 2 मिलियन टन ही मिलता है क्लीन कोल, जरूरत 300 मिलियन टन की

BCCL CMD: बीसीसीएल के सीएमडी एम के अग्रवाल ने बताया है कि देश के 937 बिलियन टन कोकिंग कोल रिजर्व में से 20% रिजर्व बीसीसीएल के पास है, लेकिन स्टील उद्योग की जरूरत के अनुसार 18–19% ऐश कंटेंट वाला कोल उपलब्ध कराना सबसे बड़ी चुनौती है. झरिया मास्टर प्लान, आउटसोर्सिंग मॉडल, क्लीन कोल उत्पादन और भविष्य की कोकिंग कोल की मांग पर कंपनी की रणनीति पर खास बातचीत हुई है.

बोकारो (राकेश वर्मा, बेरमो): देश में उपलब्ध कुल कोकिंग कोल का 58 फीसदी अकेले बीसीसीएल के पास है, लेकिन स्टील सेक्टर की जरूरत के अनुसार इसकी गुणवत्ता में सुधार करना कंपनी के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. यह बातें बीसीसीएल के सीएमडी एम के अग्रवाल ने रविवार को बेरमो में प्रभात खबर से खास बातचीत में कहीं.

देश में 937 बिलियन टन कोकिंग कोल रिजर्व

एमके अग्रवाल ने बताया कि देश में कुल कोकिंग कोल रिजर्व है का 20 प्रतिशत रिजर्व बीसीसीएल के पास है. बीसीएल के पास 8 बिलियन टन कोल रिजर्व है. बीते वित्तीय वर्ष में 45.5 मिलियन टन कोयला का उत्पादन हुआ था, जबकि इस साल 46 मिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि बीसीसीएल ही एकमात्र कंपनी है, जो देश के स्टील उद्योग को कोकिंग कोल उपलब्ध कराती है.

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स्टील इंडस्ट्री को 18–19% ऐश वाला कोल चाहिए, हमारे यहां 40% से ऊपर वाला

सीएमडी ने बताया कि भारत में उत्पादित कोकिंग कोल में ऐश कंटेंट 40% से अधिक होता है, जबकि स्टील प्लांट को 18–19% ऐश वाला कोयला चाहिए. बीसीसीएल में 30.65 मिलियन टन क्षमता वाली 5 वाशरियां कार्यरत हैं और तीन और बनाई जा रही हैं. उन्होंने कहा- हम साफ कोल तैयार करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन 18–19 प्रतिशत ऐश तक लाने पर क्लीन कोल की मात्रा मात्र 2 मिलियन टन ही रह जाती है. उन्होंने बताया कि 2030 तक भारत को 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन का लक्ष्य है, इसलिए कोकिंग कोल का उत्पादन बढ़ाना देश की जरूरत है.

झरिया मास्टर प्लान तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य

एमके अग्रवाल ने बताया कि झरिया मास्टर प्लान को तेज गति से लागू किया जा रहा है. जून 2025 में केंद्र सरकार ने संशोधित प्लान को मंजूरी दी है. उन्होंने कहा, ‘झरिया के लोग वर्षों से धंसान के खतरे में रह रहे हैं. हमारा पहला उद्देश्य उन्हें सुरक्षित स्थान पर पुनर्वसित करना है.’ बीसीसीएल के 649 कर्मियों में से 170 अभी शेष हैं, बाकी को बेलगड़िया टाउनशिप में स्थानांतरित किया जा चुका है. स्किल डेवलपमेंट सेंटर, माइक्रो एंटरप्राइज मॉडल और रोजगार से जोड़ने की पहल तेजी से चल रही है.

आउटसोर्सिंग जरूरी, लेकिन श्रमिकों की सुरक्षा सर्वोपरि

एम के अग्रवाल ने कहा कि नई श्रम संहिताएं श्रमिकों की सुरक्षा और आर्थिक सुधार के लिए बेहतर हैं. तेजी से उत्पादन के लिए आउटसोर्सिंग जरूरी है, लेकिन श्रमिकों की सुरक्षा और सुविधाओं का खास ध्यान रखना होगा. उन्होंने साफ किया कि घनी आबादी वाले इलाकों में डिपार्टमेंटल माइनिंग कठिन है, इसलिए आउटसोर्सिंग मॉडल भविष्य में अहम भूमिका निभाएगा.

जब तक स्टील प्लांट रहेंगे, कोकिंग कोल की मांग बनी रहेगी

सीएमडी ने बताया कि सौर ऊर्जा, हाइड्रो और न्यूक्लियर के विस्तार के बावजूद कोकिंग कोल की आवश्यकता बनी रहेगी. बीसीसीएल पहले ही 20MW का सोलर प्लांट चला रहा है और 25MW भोजूडीह में तैयार हो रहा है. उन्होंने कहा- “देश में 150 साल तक का कोकिंग कोल रिजर्व उपलब्ध है. जब तक स्टील इंडस्ट्री है, कोकिंग कोल की मांग बनी रहेगी.” बीसीसीएल ने 6 अंडरग्राउंड माइंस को एमडीओ मोड में दिया है, जिसमें एक में उत्पादन शुरू भी हो चुका है. इससे 2027–28 तक कोल इंडिया का उत्पादन 1 बिलियन टन तक पहुंचने का लक्ष्य है.

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Sameer Oraon
Sameer Oraon
इंटरनेशनल स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मीडिया से बीबीए मीडिया में ग्रेजुएट होने के बाद साल 2019 में भारतीय जनसंचार संस्थान दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया. 5 साल से अधिक समय से प्रभात खबर में डिजिटल पत्रकार के रूप में कार्यरत हूं. इससे पहले डेली हंट में भी बतौर प्रूफ रीडर एसोसिएट के रूप में भी काम किया. झारखंड के सभी समसमायिक मुद्दे खासकर राजनीति, लाइफ स्टाइल, हेल्थ से जुड़े विषय पर लिखने और पढ़ने में गहरी रूचि है. तीन साल से अधिक समय से झारखंड डेस्क पर काम किया. फिर लंबे समय तक लाइफ स्टाइल डेस्क पर भी काम किया. इसके अलावा स्पोर्ट्स में भी गहरी रूचि है.

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