धनबाद: सिविल सेवा में काम करने की चुनौती भी है. साथ ही एक्सपोजर के अवसर भी. आप समाज के लिए कुछ कर सकते हैं. सबसे अंतिम पायदान पर खड़े लोगों की सेवा कर सकते हैं. आज के समय में प्रशासनिक सेवा में काम करने का स्टाइल बदला है. लोगों की अपेक्षाएं बढ़ रही हैं.यह कहना है भारतीय प्रशासनिक सेवा (अाइएएस) 2015 बैच की प्रशिक्षु अधिकारी माधवी मिश्रा का. शुक्रवार को प्रभात खबर से खास बातचीत में उन्होंने कई बिंदुओं पर अपनी राय रखी. पेश है उनसे बातचीत के अंश.
सवाल : भारतीय इकोनॉमिक सेवा छोड़ कर भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने की वजह ?
जवाब : मेरे पिताजी बैंक में कार्यरत हैं. इकोनॉमिक्स में शुरू से रुचि थी. पहले प्रयास में आइइएस में सफलता से उत्साहित हुई. क्योंकि आइइएस में वैकेंसी बहुत कम होती है. लेकिन, मेरी इच्छा थी कि प्रशासनिक सेवा में जाऊं. इसलिए आइइएस की ट्रेनिंग के साथ-साथ आइएएस के लिए तैयारी भी करती रही. आइइएस की ट्रेनिंग पूरी होते-होते आइएएस में चयन हो गया. आइएएस के रूप में आपको काम करने का मौका मिलता है. एक्सपोजर काफी मिलता है. हालांकि, इसमें काम बहुत चुनौतीपूर्ण है. यह मेरा लक्ष्य भी था.
सवाल : आज के समय में नये प्रशासनिक अधिकारियों के लिए काम की क्या चुनौती है?
जवाब : लोगों का प्रशासन से अपेक्षाएं काफी बढ़ी हुई हैं. सेवा का अधिकार, सूचना का अधिकार जैसे कई कानून आ गये हैं. इसके कारण कोई अधिकारी अब काम को लटका नहीं सकते. आपको रिजल्ट देना होगा. नये अधिकारियों को मोटिवेशन के साथ काम करने की जरूरत है. ताकि सरकार व जनता की अपेक्षा के अनुरूप काम कर सकें. किसी अधिकारी का अपना कोई एजेंडा नहीं होता. सरकार का एजेंडा ही प्रशासनिक अधिकारी का एजेंडा होता है.
सवाल : क्या समाज का सचमुच बेटियों के प्रति नजरिया बदल रहा है ?
जवाब : देखिए, समाज के सोच में बदलाव तो आ रहा है. लेकिन, इस तरह के बदलाव पूरी तरह से आने में वक्त लगता है. यह आर्थिक बदलाव की तरह नहीं होते. वैसे बेटियों को पढ़ाने पर लोगों का फोकस बढ़ा है. मैं खुद जिस परिवेश से आती हूं. वहां भी पहले बेटियों की पढ़ाई पर बहुत ध्यान नहीं दिया जाता था. लेकिन, उनके पिता ने बेटियों को खूब पढ़ाया. एक बात और बेटियों को सफलता के लिए संघर्ष तो ज्यादा करना पड़ता है. लेकिन, सफलता पर सराहना भी ज्यादा मिलती है.
सवाल : यूपीएससी की सफलता के लिए कितने घंटे पढ़ाई करने की जरूरत है?
जवाब : यूपीएससी में सफलता के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत होती है. एक छात्र को कम से कम 10 घंटे पढ़ाई करनी जरूरी है. इसका सिलेबस बहुत विशाल होता है.
धनबाद के बारे में बाहर गलत धारणा है
आइएएस अधिकारी के रूप में जब जिला प्रशिक्षण के लिए धनबाद जिला आवंटित होने की सूचना मिली तो थोड़ी चिंतित हुई. साथियों ने भी कहा धनबाद बहुत खतरनाक जगह है. माफिया नगरी है. ठीक से रहना. इससे पहले कभी बिहार, झारखंड नहीं आयी थी. लेकिन, यहां आयी तो पाया कि धनबाद के बाहर बिल्कुल गलत धारणा है. यहां के लोग काफी को-ऑपरेटिव हैं. यहां काम करना का अच्छा स्कोप है.
एक अच्छे मार्गदर्शक हैं धनबाद के डीसी
धनबाद उपायुक्त ए दोड्डे एक अच्छे मार्गदर्शक हैं. उन्होंने ट्रेनिंग के दौरान काफी सहयोग किया. हर विषय पर प्रैक्टिकल जानकारी दी. कैसे हर फील्ड में काम करना चाहिए, यह सब कुछ एक सीनियर के रूप में बताया, सिखाया. यह अनुभव कभी नहीं भूल पाऊंगी. ट्रेनिंग में सहयोग के लिए धनबाद के सभी प्रशासनिक अधिकारी, कर्मी, नगर निगम, पुलिस प्रशासन, न्यायिक अधिकारियों के प्रति आभारी हूं.
