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सिंदरी कारखाना का 41% सिविल कार्य पूरा

धनबाद : पांच सरकारी कंपनियों के संयुक्त उपक्रम हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के प्राकृतिक गैस आधारित तीन उर्वरक संयंत्रों की स्थापना का काम समय के अनुरूप आगे बढ़ रहा है और 2021 में इन संयंत्रों से वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हो जाने का अनुमान है. ये संयंत्र झारखंड के सिंदरी,उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और […]

धनबाद : पांच सरकारी कंपनियों के संयुक्त उपक्रम हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के प्राकृतिक गैस आधारित तीन उर्वरक संयंत्रों की स्थापना का काम समय के अनुरूप आगे बढ़ रहा है और 2021 में इन संयंत्रों से वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हो जाने का अनुमान है. ये संयंत्र झारखंड के सिंदरी,उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और बिहार के बरौनी में तैयार हो रहे हैं. इन पर करीब 22 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आयेगी.

इनमें से प्रत्येक संयंत्र की क्षमता 12.70 करोड़ मीट्रिक टन सालाना होगी. हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) द्वारा सिंदरी में लगाये जा रहे खाद कारखाना का लगभग 41 प्रतिशत सिविल वर्क पूरा हो चुका है. जिस रफ्तार से काम चल रहा है, उम्मीद है कि मई 2021 तक यहां खाद का उत्पादन शुरू हो जायेगा.
सात हजार करोड़ का निवेश : एनटीपीसी, कोल इंडिया, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने मिलकर एचयूआरएल की स्थापना की है. यह संयुक्त उद्यम बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों के पुनरूत्थान के लिए बनाया गया है.
एचयूआरएल के इन संयंत्रों का वित्त पोषण करने वाले बैंकों समूह में भारतीय स्टेट बैंक मुख्य बैंक है. तीनों परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण 75:25 के ऋण- इक्विटी अनुपात पर किया गया है. कोल इंडिया ने अपनी हालिया सालाना रिपोर्ट में कहा कि सभी तीन संयंत्रों का निर्माण कार्य प्रगति पर है और इनमें 2021 में यूरिया का उत्पादन शुरू हो जाने का अनुमान है. संयुक्त उपक्रम में कोल इंडिया की 29.67 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कंपनी उपक्रम में करीब 16 सौ करोड़ रुपये लगायेगी.
90 फीसदी अवशेष हटा
सिंदरी में बंद पुराने खाद कारखाना का लगभग 90 फीसदी लोहा कट चुका है. उन्हें हटाने का काम भी तेजी से चल रहा है. खाली स्थान पर नये प्लांट निर्माण का सिविल वर्क भी तेजी से चल रहा है. कंपनी सूत्रों की मानें तो सिविल वर्क निर्धारित लक्ष्य के अनुसार ही चल रहा है. इसी माह मैकेनिकल वर्क शुरू होने की संभावना है. इसके बाद इलेक्ट्रिकल वर्क शुरू होगा. 2020 में मशीनें लगनी शुरू होगी. यहां पर प्रति दिन 3850 टन यूरिया उत्पादन करने का लक्ष्य है.

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