मधुपुर. पिछले कुछ समय से अस्वस्थ रहे के पूर्व सांसद प्रो. सलाउद्दीन अंसारी के निधन पर पूरे शहर में शोक की लहर है. अंसारी हमेशा तामझाम और तड़क-भड़क से दूर रहते थे. उनका व्यक्तित्व सीधा और मिलनसार था. छोटे-बड़े सभी से समान व्यवहार करते थे और सभी के बीच अत्यंत लोकप्रिय थे. उनके निधन से शिक्षा जगत के साथ राजनीतिक क्षेत्र को भी अपूरणीय क्षति पहुंची है. वे मधुपुर नगर परिषद के वार्ड आयुक्त पद पर पहली बार चुनाव जीत कर चेयरमैन बने और जनसेवा में कदम रखा था. इसके बाद वे सांसद बने. उनके पिता यासीन अंसारी भी मधुपुर विधानसभा से विधायक थे. लोग बताते हैं कि पूर्व सांसद सलाउद्दीन 1985 में जब वे चुनाव लड़े तो वे अपनी जेब से एक रुपया भी खर्च नहीं किये थे. चुनाव में जो भी रकम खर्च हुआ था, वह पार्टी स्तर से ही हुआ था, लेकिन वह खर्च भी बहुत मामूली था. उस दौर में टिकट मिलने पर वे सिर्फ भाड़े के दो एंबेसडर कार में समर्थकों के साथ गोड्डा जाकर नामांकन कर आये और चुनाव प्रचार में जुट गये. चुनाव खर्च में वाहन समेत जिन्हें भी पैसा दिया गया. वह पार्टी और कार्यकर्ताओं के स्तर पर ही हुआ. वे भाजपा के जनार्दन यादव को हरा कर वे चुनाव जीते थे. उसके बाद भी वे 1989 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े, लेकिन भाजपा के जनार्दन यादव से हार गये. वे 1996 में राजद की टिकट पर भी तीसरी बार गोड्डा लोकसभा चुनाव लड़े. सांसद काल में भी वे अपने बॉडी गार्ड और वाहन के साथ चलना पसंद नहीं करते थे. वे बताते थे कि चुनाव जीतने के बाद उन्होंने 27 हजार में एक सेकेंड हैंड एंबेसडर कार खरीदी थी. उसी से क्षेत्र जाते थे. उसके बाद उन्होंने आज तक न तो अपने साथ बॉडीगार्ड रखा और न ही चारपहिया वाहन रखा. प्रो. अंसारी अपने पीछे दो पुत्र जुनैद और शाहीन, एक पुत्री रूबी, दामाद इश्तियाक अहमद सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गये है. उनके निधन से शिक्षा और राजनीति जगत को गहरा आघात लगा है. वहीं, ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका सिंह पांडेय भी मधुपुर के खलासी मोहल्ला स्थित उनके आवास पहुंच और शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी. हाइलार्ट्स : पूर्व सांसद के निधन पर मधुपुर में शोक की लहर तामझाम और तड़क-भड़क से दूर रहते थे प्रो सलाउद्दीन
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