संवाददाता, देवघर. जनकपुर नगरी एक बार फिर वैदिक मंत्रों और मंगल गीतों की मधुर ध्वनि से गुंजायमान हो उठी, जब राजा जनक की पुत्री जानकी जी ने अयोध्या के राजकुमार प्रभु श्रीराम के गले में जयमाला डाली. शिव धनुष को तोड़े जाने के बाद जब पूरा राजदरबार स्तब्ध था, तभी राजपुरोहित सदानंद जी की आज्ञा से यह शुभ कार्य संपन्न हुआ. उक्त बातें विलियम्स टाउन स्थित चित्रकूटधाम में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय राम कथा में कथावाचक कपिल भाई ने कही. आगे बताया कि धनुष के टूटने से क्रोधित महा पराक्रमी परशुराम जी जनकपुरी में प्रकट हुए और क्रोध प्रकट किया. किंतु प्रभु श्रीराम के कोमल वचनों और मर्यादित व्यवहार से उनका क्रोध शांत हुआ. वह प्रभु की प्रशंसा करते हुए वन की ओर लौट गये. राजा जनक ने ऋषि विश्वामित्र को बार-बार प्रणाम कर आगामी कार्यक्रम की जानकारी ली. गुरु, पुरोहित व वरिष्ठ नागरिकों की सहमति और वैदिक परंपराओं के अनुसार विवाह की तैयारियां प्रारंभ हुई. एक विशेष दूत पत्रिका लेकर अयोध्या पहुंचे, जहां गुरु वशिष्ठ के निर्देश पर महाराज दशरथ के नेतृत्व में बारात जनकपुर पहुंची और विवाह की रस्में विधिपूर्वक संपन्न हुई. श्रीराम-जानकी के साथ भरत-मांडवी, लक्ष्मण-उर्मिला और शत्रुघ्न-श्रुति कीर्ति का विवाह भी संवन्न हुआ. नगरवासियों ने बारात का भव्य स्वागत किया और विविध व्यंजन परोसे. कार्यक्रम को सफल बनाने में कथा समिति के अध्यक्ष आरपीएम पुरी, कार्यकारी अध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह, महामंत्री अंजनी कुमार मिश्रा, संयोजक योगेंद्र नारायण सिंह, सचिव पंकज सिंह भदोरिया, उमेश प्रसाद सिंह, संरक्षण मंडली के कृष्णकांत मालवीय, संतोष कुमार, डाॅ नागेश्वर शर्मा, अवध विहारी प्रसाद, सुनील ठाकुर, इंदिरा नंद सिंह, श्यामदेव राय, गिरीग प्रसाद सिंह, रीता चौरसिया, ओपी मिश्रा ,दिलीप श्रीवास्तव, भुनेश्वर प्रसाद सिंह, योगेंद्र प्रसाद सिंह, जयनाराय सिंह, सियारामजी, सखीचंद्र प्रसाद सिंह, कार्यानंद सिंह, संजय सिंह, राम शृंगार पांडे, शंभु प्रसाद वर्मा, आशीष वाजपेयी, अर्जुन प्रसाद सिंह, शिव नंदन सिंह, शशिकांत झा, राधाकांत झा आदि लगे रहे.
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