मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा राव फूले व अमर शहीद सिदो कान्हू की जयंती, उपन्यासकार फणीश्वरनाथ रेणू व बिष्णु प्रभाकर की पुण्यतिथि मनायी गयी. इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. मौके पर जलेस के सह सचिव धनंजय प्रसाद ने कहा कि अमर शहीद सिदो कान्हू की आज 210 वीं जयंती है. आज के ही दिन 11 अप्रैल 1815 को भोगनाडीह चुनू मुर्मू के घर में हुआ था. उन्होंने अपने भाई-बहन सहित आदिवासी व गैर आदिवासी को संगठित कर अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए 1855 में संताल हूल किया था. जिसके परिणामस्वरूप संताल परगना काश्ताकारी अधिनियम बना और संताल परगना अलग जिला बना. उन्होंने कहा कि सामाजिक क्रांति के महात्मा ज्योतिबा राव फूले पुरोधा थे. वे महान विचारक, समाजसुधारक, दार्शनिक व लेखक थे. उन्होंने महिला, दलित व वंचित समाज के उत्थान के लिए अनेकों कार्य किया. वो नारी शिक्षा, विधवा विवाह के समर्थक व जात पात, बाल विवाह, सती प्रथा, कर्मकांड व पाखंड के प्रबल विरोधी थे. उन्होंने महिला शिक्षा के लिए प्रथम स्कूल खोले और सत्य शोधक समाज की स्थापना कर हजारों बच्चियों को नि: शुल्क शिक्षा व भोजन की व्यवस्था की. उनके ही पहल पर बाल विवाह निषेध व एग्रीकल्चर कानून बना. उनकी प्रमुख रचनाएं गुलामगिरी, तृतीय रत्न, छत्रपति शिवाजी, राजा भोंसले का पखड़ा, किसान का कोडा व अछूत की कैफियत आदि है. उन्होंने कहा कि फणीश्वरनाथ रेणू आंचलिक उपन्यास के अग्रदूत थे. उनकी पहले उपन्यास में उन्हें काफी ख्याति मिली. वो हिन्दी साहित्य को अपनी मिट्टी, गाँव, घर और आमजन से जोड़ने वाले अप्रतिम कथाकार थे. उन्होंने कहा कि बिष्णु प्रभाकर हिन्दी साहित्य जगत के एक प्रख्यात नाम है. जो प्रेमचंद, जैनेन्द्र, यशपाल व अज्ञेय के सहयात्री रहे. उनकी प्रमुख रचनाएं आवारा मसीहा, अर्द्धनारीश्वर, धरती अब भी घूम रही हैं आदि है. भला ऐसे विभूतियों को कैसे बिसराया जा सकता है. मौके पर अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखें.
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