करौं. स्थानीय बाजार स्थित धर्मराज मंदिर में दो दिवसीय वार्षिक उत्सव व चड़क पूजा को लेकर पूरे गांव में उत्साह का माहौल हैं. 11 व 12 मई को आयोजित होने वाली इस पूजा व मेला को लेकर सारी तैयारी पूरी कर लिया गया है. इस पूजा में जलती हुई आग पर चलना व आग के गोले से खेलना जैसे कई पारंपरिक अनुष्ठान किया जाता है. धर्मराज पूजनोत्सव के अवसर पर व्रतियों द्वारा अग्निपिण्ड से खेलना, कांटों पर चलना व कांटों के सेज पर खुले बदन तरह-तरह करतब करना आदि चमत्कारिक कला दिखाया जाता है. प्रज्ज्वलित आग के ढेर में सशरीर क्रीड़ा करते हुए देख चड़क पूजा के प्रति लोगों को सहज ही आस्था, निष्ठा व भक्ति का भाव जगाता है. इससे बाबा धर्मराज की महत्ता बढ़ जाती है. इस अवसर पर करीब 30 फीट लंबी खूंटे यानी तराजुनुमा लकड़ी के सहारे भोक्ता रस्सी बांधकर चारों ओर परिक्रमा कराना व पुष्पादि का वर्षा कराना, जहां लोगों को कौतुहल का विषय होता है. वहीं, आस्था और आध्यात्मिकता का संचार लोगों में प्रवाहित होता है.
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