मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में सोमवार को देशरत्न डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती मनायी गयी. इस अवसर पर उनके व संविधान विषयक संगोष्ठी आयोजित की गयी. उपस्थित लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. वहीं, धनंजय प्रसाद ने कहा कि समाजसुधारक, विद्वान व विधिवेत्ता डॉ भीमराव आंबेडकर ने संविधान की रचना में अहम् व उत्कृष्ट योगदान से भारत में समता, स्वतंत्रता, बन्धुत्व व न्याय पर आधारित संवैधानिक व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त किया है. सामाजिक न्याय एवं नैसर्गिक न्याय की संकल्पना को साकार किया है. उन्होंने कहा कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. शुरूआत में इसमें 395 अनुच्छेद 9, अनुसूची तथा 22 भागों में विभाजित था. जो संप्रभुता सम्पन्न, लोकतांत्रत्मक, धर्मनिरपेक्ष एवं समाजवादी गणराज्य की स्थापना करता है. जिसमें मौलिक अधिकार व नीति-निर्देशक तत्व इसके आत्मा है. प्रवीण शरण ने कहा कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी देश में फिर से नफरत को बढ़ावा दिया जा रहा है. जो बिल्कुल गलत है. मौके पर बीणा देवी, इसरत, रुपी, धर्मेन्द्र, ओमप्रकाश व नदीम आदि मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है