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करौं के धर्मराज मंदिर में आज होगी पूजा

पिरोकर कर जाति बंधन को छोड़कर श्रद्धा भक्ति एवं आस्था के साथ पूजा

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करौं. बुद्ध पूर्णिमा को करौं की धर्मराज पूजा क्षेत्र में अनूठा है. धर्मराज यानी यमराज की पूजा में सभी भोक्ता एक सूत्र में पिरोकर कर जाति बंधन को छोड़कर श्रद्धा भक्ति एवं आस्था के साथ पूजा करते हैं. पूजा की तैयारी पूरी तरह हो चुकी है. पूजा 11 एवं 12 मई को होगी, प्रथम पूजा आज से प्रारंभ है. ज्ञात हो कि धनराज पूजा यहां एक सप्ताह से ही प्रारंभ है. विगत तीन दिनों पूर्व से ही धर्मराज के पुजारी, परेश शर्मा मुख्य भोक्ता चांद बाउरी बेणेश्वर बाबा को माथे पर लिए बढ़ई के पास जाकर कटी पिटवाने के पश्चात राजा तालाब में स्नान कर धर्मराज मंदिर पहुंचे. दूसरे दिन डुमरतार तालाब में धर्मराज बाबा को निमंत्रण देकर पूजा की गयी. पश्चात गांव भ्रमण कराया जा रहा है. दो दिनों तक चलने वाला महापर्व प्रथम दिन छोटा भोक्ता द्वारा शाम को सिकदर पोखर से सामान कर प्रसिद्ध कर्णेश्वर मंदिर से लंब दंड देकर धर्मराज मंदिर पहुंचते हैं. दूसरे दिन वैशाख पूर्णिमा की रात मंदिर प्रांगण में विराट समारोह प्रारंभ होता है जो देर रात तक चलता है. भोक्ता महापर्व के विशेष समारोह में हैरत अंगेज करतबों को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते है, जिसमें मुख्य रूप से राधाचड़क, पुष्प वर्षा, महिला भक्तिन द्वारा माथे पर अग्नि पिंड लिए मंदिर पहुंचना, कांटों पर लोटपोट होना, आग पर चलना आदि बहुत सारे अनुष्ठान इस पर्व में इस पूजा में होता है. जिन्हें दर्शन मात्र से ही व्याधिक, चर्म रोग, धवल, कुष्ठ़ादि से मुक्ति मिलती है.

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