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निर्धारित मानक का नहीं रखा ख्याल, 40 लाख का लगा चूना, उड़ान भरना था खतरनाक फिर भी बना दिया हेलीपैड!

देवघर: संंताल परगना खासकर साहेबगंज को कई सौगात देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छह अप्रैल को साहेबगंज से लौट गये, लेकिन कार्यक्रम के बाद कई सवाल अनुत्तरित हैं. अहम यह है कि पीएम के आगमन के लिए निर्धारित मानकों का ख्याल क्यों नहीं रखा गया, एसपीजी से तैयारी के पहले क्लीयरेंस क्यों नहीं लिया गया. नतीजतन, […]

देवघर: संंताल परगना खासकर साहेबगंज को कई सौगात देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छह अप्रैल को साहेबगंज से लौट गये, लेकिन कार्यक्रम के बाद कई सवाल अनुत्तरित हैं. अहम यह है कि पीएम के आगमन के लिए निर्धारित मानकों का ख्याल क्यों नहीं रखा गया, एसपीजी से तैयारी के पहले क्लीयरेंस क्यों नहीं लिया गया. नतीजतन, हेलीपैड पर लाखों रुपये फूंक दिये गये, जिसका उपयोग तक नहीं हुआ.

हेलीकॉप्टर लैंडिंग के लिए जैप-9 में तीन हेलीपैड बनाये गये थे, लेकिन उक्त हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर की लैंडिंग को प्रधानमंत्री की सुरक्षा में आये अधिकारियों ने खतरनाक बताया. इस कारण प्रधानमंत्री और उनके साथ चलने वाले दो अन्य वायुसेना के हेलीकॉप्टर की लैंडिंग स्थल अंतिम समय में बदल दिया गया. प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर जैप-9 के नये हेलीपैड के बदले सिदो कान्हू स्टेडियम में उतरा. ऐसे में हेलीपैड निर्माण में खर्च 40 लाख के दुरुपयोग के लिए जिम्मेवार कौन है अबतक विभाग तय नहीं कर पा रहा है.

स्थल चयन में नहीं ली गयी नागर विमानन की तकनीकी सलाह : प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर एक महीने से झारखंड सरकार लगी थी. हेलीकाॅप्टर लैंडिंग के लिए मुख्य सचिव ने पक्का हेलीपैड बनाने का निर्देश भवन निर्माण विभाग को दिया था. यही नहीं विभाग के अभियंता प्रमुख की देखरेख में तकरीबन 40 लाख से अधिक की राशि खर्च करके तीनों हेलीपैड का निर्माण हुआ. तकनीकी एक्सपर्ट के अनुसार, जब पक्का हेलीपैड का निर्माण कराया जाना था तो निर्माण से पहले नागर विमानन की तकनीकी सलाह ली जानी चाहिए थी कि जहां हेलीपैड का निर्माण हो रहा है, वह सुरक्षा कारणों से सही है या नहीं. विभाग या प्रशासन ने इसकी अनदेखी की. जिसका नतीजा हुआ कि हेलीपैड अनुपयोगी हो गया.
मॉक ड्रिल में रिजेक्ट हुआ हेलीपैड
मुख्य सचिव के निर्देश के बाद 28 मार्च के बाद तीन अलग-अलग ठेकेदार को हेलीपैड निर्माण के काम में लगाया गया. 24 घंटे काम चला. चार अप्रैल को तीनों हेलीपैड हैंडओवर किया गया. इन तीनों हेलीपैड पर लैंडिंग का ट्रायल भी हुआ. लेकिन वायुसेना का जब मॉक ड्रिल हुआ तो इन हेलीपैड को सुरक्षा कारणों से कैंसिल कर दिया गया. अधिकारियों ने कई कारण बताये, एक तो यह कि एक नंबर हेलीपैड के सामने एक पानी की टंकी है जिसमें उड़ान के समय हेलीकॉप्टर का पंखा सट सकता है. दूसरा कारण यह था कि हेलीपैड पहाड़ी-जंगल से सटा हुआ था, सुरक्षा कारणों से खतरनाक है. यही नहीं हैलीपैड निर्माण की गुणवत्ता पर भी सवाल उठे. लेकिन अब तक पब्लिक मनी के दुरुपयोग के लिए किसी को न तो जिम्मेवार ठहराया गया और न ही कार्रवाई हुई है.

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