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रोहिणी में बने मोर-मुकुट पहनकर बाबा की होगी शादी
जसीडीह : बाबा नगरी में महाशिवरात्रि की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है. महाशिवरात्रि रोहिणी के मालाकारों के लिए काफी महत्व रखता है. क्योंकि परंपरा के अनुसार, राेहिणी में तैयार किये गये मोर मुकुट पहनकर बाबा बैद्यनाथ की शादी होती है. मालाकारों ने मोर मुकुट बना कर लगभग तैयार कर दिया गया है. चार […]
जसीडीह : बाबा नगरी में महाशिवरात्रि की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है. महाशिवरात्रि रोहिणी के मालाकारों के लिए काफी महत्व रखता है. क्योंकि परंपरा के अनुसार, राेहिणी में तैयार किये गये मोर मुकुट पहनकर बाबा बैद्यनाथ की शादी होती है. मालाकारों ने मोर मुकुट बना कर लगभग तैयार कर दिया गया है.
चार पुस्तों से चली आ रही बाबा का मोर बनाने की परंपरा
बाबा का मोर बनाने वाले सुधाकर मालाकार और उसकी मां सुशीला देवी ने बताया कि शिव जी के शादी के लिए मोर बनाने की परंपरा हमारे चार पुस्तों से चली आ रही है. जिसे आज भी हम कायम रखे हुए हैं. भगवान शिव की कृपा हमारे ऊपर हमेशा बनी रहती है. साथ ही उन्होंने बताया कि मंदिर में शादी के एक दिन पूर्व ही सरकारी पूजा के दौरान मोर को पहुंचाने की परंपरा है. बताते चलें कि रोहिणी के मालाकारों द्वारा लगभग तीन सौ साल पूर्व से ही मोर बनाते आ रहे हैं. रोहिणी स्टेट स्थित घाटवाल के परिजन संजीव कुमार देव ने बताया कि देवघर में हर वर्ष आयोजित होने वाले शिव विवाह में उपयोग होने वाला मोर को हमारे पूर्वजों के द्वारा ही दिया जाता आ रहा है. इस परंपरा का आज भी निर्वहन हम सब कर रहे हैं.
इसके साथ धोती, चादर, जनेउ व अक्षत भी दिया जाता है जो ब्राह्मणों के द्वारा प्रत्येक साल मंदिर के भीतरखंड में मौजूद पूजारी को पहुंचा दिया जाता है. उन्होंने बताया कि इस परंपरा भवप्रीता नंद जी महाराज द्वारा ही निभाया जाता था. बाबा की शादी में सर्वप्रथम रोहिणी स्टेट के मोर समेत अन्य सामानों का उपयोग होने के बाद ही अन्य जगहों से आयी सामग्री का उपयोग किया जाता था.
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