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जलसार स्थित ऐतिहासिक मंदिर की संरचना ध्वस्त

देवघर: पुरातत्व विभाग से लेकर जिला प्रशासन की उदासीनता की वजह से देवनगरी की ऐतिहासिक धरोहर लगातार मिट्टी में मिलती जा रही है. जलसार पोखर के किनारे सैकड़ों वर्ष पूर्व बंगाल की चाला शैली की 12 फीट ऊंची व छह फीट चौड़ी निर्मित मंदिर आज जीर्ण-शीर्ण हालत में है. इसमें कई शिलालेख भी था जिसका […]

देवघर: पुरातत्व विभाग से लेकर जिला प्रशासन की उदासीनता की वजह से देवनगरी की ऐतिहासिक धरोहर लगातार मिट्टी में मिलती जा रही है. जलसार पोखर के किनारे सैकड़ों वर्ष पूर्व बंगाल की चाला शैली की 12 फीट ऊंची व छह फीट चौड़ी निर्मित मंदिर आज जीर्ण-शीर्ण हालत में है. इसमें कई शिलालेख भी था जिसका आज पता नहीं चल पा रहा है.

लोगों की मानें तो इस मंदिर को पशुओं के रक्षक देव गभरू बाबा के मंदिर के नाम से भी जाना जाता था. वर्तमान समय में इस मंदिर के आसपास गंदगी का अंबार लगा है. लोग यहां शौच तक कर रहे हैं. इस मंदिर का अस्तित्व धीरे-धीरे मिट्टी में मिलता जा रहा है. देवघर के जनप्रतिनिधि एक ओर शहर को जहां राज्य की सांस्कृतिक राजधानी बनाने के लिए तत्पर हैं वहीं बाबानगरी के आसपास के कई महत्वपरूण व ऐतिहासिक धरोहर आज अपना अस्तित्व खोता जा रहा है.

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