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युवाओं के प्रेरणास्नेत बने देवघर के मृत्युंजय खवाड़े

टेक महिंद्रा अमेरिका में हैं कार्यरत प्राइवेट टय़ूशन से हासिल की एमसीए की डिग्री मैट्रिक व इंटर की पढ़ाई के बाद गये थे दिल्ली हंसराज कॉलेज से ली स्नातक की डिग्री देवघर : हौसला बुलंद हो तो कामयाबी निश्चित मिलती है. अमेरिका के टेक महिंद्रा कंपनी में आइटी सेक्शन में कार्यरत देवघर के मृत्युंजय नारायण […]

टेक महिंद्रा अमेरिका में हैं कार्यरत

प्राइवेट टय़ूशन से हासिल की एमसीए की डिग्री

मैट्रिक व इंटर की पढ़ाई के बाद गये थे दिल्ली

हंसराज कॉलेज से ली स्नातक की डिग्री

देवघर : हौसला बुलंद हो तो कामयाबी निश्चित मिलती है. अमेरिका के टेक महिंद्रा कंपनी में आइटी सेक्शन में कार्यरत देवघर के मृत्युंजय नारायण खवाड़े ने विपरीत परिस्थिति के बाद भी लक्ष्य को साध कर लगातार आगे बढ़ते चले गये. एमसीए की डिग्री हासिल करने के बाद वर्ष 2006 में टेक महिंद्रा कंपनी, पूणो में ज्वाइन किया. उत्कृष्ट कार्यो की वजह से कंपनी की ओर से आस्ट्रेलिया भेजे गये.

करीब डेढ़ वर्ष तक आस्ट्रेलिया में रहने के बाद यूएसए अटलांटा तथा वहां से अमेरिका चले गये. मृत्युंजय की कामयाबी से न सिर्फ परिवार बल्कि पूरा समाज गौरवान्वित है. युवाओं के हौसला को पंख देने में ये प्रेरणास्नेत भी हैं. इस मुकाम को हासिल करने वाले मृत्युंजय के प्रेरणास्नेत माता-पिता व परिवार के सदस्य हैं. गोवर्धन साहित्य हाइस्कूल देवघर से मैट्रिक तथा देवघर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गये.

हंसराज कॉलेज दिल्ली से स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद एमसीए की पढ़ाई पूरी की. एमसीए की पढ़ाई का खर्च प्राइवेट टय़ूशन के जरिये निकाला. पिता स्व चंद्र नारायण खवाड़े विद्युत विभाग में बतौर एकाउंटेंट के पद पर कार्यरत थे. सात भाई व दो बहनों में सबसे छोटे मृत्युंजय के सिर से मां सीता देवी का साया कक्षा दसवीं के वक्त ही उठ गया था.

शिक्षकों व बुजुर्गो के प्रति था सम्मान

मृत्युंजय खवाड़े ने कहा कि स्कूली शिक्षा के दौरान हमलोगों के मन में शिक्षकों एवं बड़े-बुजुर्गो के प्रति काफी सम्मान था. विपरीत परिस्थिति के बाद भी शिक्षक मार्गदर्शन का काम करते थे. पैसे का अभाव होने के बाद भी आगे बढ़ने के लिए हम सबों को प्रेरित करते थे. हमलोगों से गलती होने पर बड़े-बुजुर्गो की डांट भी लगती थी. लेकिन, कालांतर में काफी बदलाव हुआ है. इसमें बदलाव की जरूरत है. हमें संस्कार के बाद विकास करना होगा.

युवाओं के लिए खुला है स्कोप

गुणवत्तापूर्ण एवं परिश्रम के साथ पढ़ाई करने वाले युवाओं के सामने करियर का स्कोप खुला है. प्रतिभावान युवा न सिर्फ विदेश में जाकर धन का उपार्जन कर सकते हैं, बल्कि घर बैठे भी बिलेनियर बन सकते हैं. बशर्ते ईमानदारी पूर्वक मेहनत करें.

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