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प्रवचन::: ध्यान आकांक्षा पूर्ण करता है

वह किसी बेहतर तथा अर्थपूर्ण जीवन पद्धति की खोज में है. जब वह धर्म के माध्यम से इसे खोजने में असमर्थ रहती है तब वह पूर्व की दार्शनिक शिक्षाओं अथवा मादक द्रव्यों की ओर मुड़ती है. ऐसा लगता है कि विश्व के धर्म लोगों की चेतना के तीव्र विकास के साथ गति कायम नहीं रख […]

वह किसी बेहतर तथा अर्थपूर्ण जीवन पद्धति की खोज में है. जब वह धर्म के माध्यम से इसे खोजने में असमर्थ रहती है तब वह पूर्व की दार्शनिक शिक्षाओं अथवा मादक द्रव्यों की ओर मुड़ती है. ऐसा लगता है कि विश्व के धर्म लोगों की चेतना के तीव्र विकास के साथ गति कायम नहीं रख पा रहे हैं. आज हमारे सामने एक ऐसी नई पीढ़ी खड़ी है जो कहीं अधिक आध्यात्मिक, रहस्यवादी तथा खोजपूर्ण है, जो अपने धर्म के गुह्य आयामों पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है. हमें विश्वास है कि ध्यान ही वह साधन है जो नई पीढ़ी की प्यास तथा आकांक्षा पूर्ण कर सकता है. ‘यदि आप मुझसे पूछे कि ईश्वर के किस स्वरूप पर ध्यान करें तो मैं आपसे कहूंगा कि जो स्वरूप आपको रुचता हो उसी पर ध्यान लगाएं. परंतु यह बात एकदम निश्चित मानिये कि ईश्वर के सभी स्वरूप एक ही ईश्वर के स्वरूप हैं. ‘- रामकृष्ण परमहंस

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