देवघर: डबल मर्डर मिस्ट्री में पुलिस व सीआइडी से तो दोनों मृतका के परिजनों को न्याय नहीं मिल सका. वहीं अब सीबीआइ की कार्यशैली देख परिजनों की आस टूटने लगी है. दोनों मृतका के परिजन इस मामले में कुछ प्रतिक्रिया देने से परहेज कर रहे हैं किंतु इतना जरूर कहते हैं कि क्या पता इस केस में सीबीआइ भी आरोपित को सामने ला सकेगी या नहीं? परिजनों के अनुसार अब तक सीबीआइ की जांच में क्या प्रगति है, इसका पता ही नहीं चल पा रहा है.
पूछने पर सीबीआइ टीम सिर्फ यह कहती है कि धैर्य रखिये जांच पूरी होते ही सब पता चल जायेगा. परिजनों का कहना है कि उनलोगों से करीब दो महीने पूर्व सीबीआइ ने इस मामले में पूछताछ की थी, किंतु मीडिया के माध्यम से पता चला कि हाल के दिनों में सीबीआइ आइओ नीलम श्री ने कोर्ट से इस केस का रिकॉर्ड लेकर जांच शुरु की है. इस मामले में आरंभ में ही साक्ष्य से छेड़छाड़ हो चुका है, दोनों मृतका के कपड़े ही गायब है.
बताते चलें कि 25 मई 2013 को रश्मि व रोशनी (दोनों काल्पनिक नाम) एक साथ गायब हुई थी. रात तक नहीं पहुंचने पर परिजनों ने जसीडीह थाने में शिकायत दी थी. पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था. दूसरे दिन 26 मई 2013 की शाम में पुलिस लाइन के तालाब से दोनों की लाश मिली थी.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों के रेप व हत्या की पुष्टि हुई थी. इस मामले में आंदोलन सड़क से संसद तक पहुंचने के बाद पुलिस महकमे के कई अधिकारियों ने यहां कैंप किया था. उस वक्त के राज्यपाल के दो सलाहकार मामले की जांच में यहां पहुंचे थे. इस मामले में तत्कालीन डीआइजी ददन जी शर्मा सहित उस वक्त के एसपी रंजीत कुमार प्रसाद, एसडीपीओ पीके साह व सार्जेट मेजर विजय कुमार सिंह हटा दिये गये थे. मामले में जसीडीह के एएसआइ सहित कांड के आइओ पूर्व इंस्पेक्टर निलंबित कर दिये गये थे. बाद में केस सीआइडी को मिला. कई माह तक जांच के बाद किसी नतीजे पर सीआइडी नहीं पहुंच सकी. परिजनों ने मामले की जांच के लिये हाइकोर्ट में रिट किया था. हाइकोर्ट के निर्देश पर सरकार द्वारा कांड जांच के लिये सीआइडी को ट्रांसफर किया गया.