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बाबा मंदिर के 27वें सरदार पंडा बने गुलाबनंद ओझा

देवघर : बाबा बैद्यनाथ मंदिर के 27वें सरदार पंडा गुलाबनंद ओझा बनाये गये हैं. 26वें सरदार पंडा अजीतानंद ओझा के निधन के बाद उनके ज्येष्ठ पुत्र गुलाबनंद ओझा को रविवार को पूरे विधि-विधान के साथ ताजपोशी की गयी. उन्हें परंपरा के अनुसार बाबा मंदिर के सरदार पंडा की गद्दी पर बिठाया गया. गुलाबनंद ओझा बाबा […]

देवघर : बाबा बैद्यनाथ मंदिर के 27वें सरदार पंडा गुलाबनंद ओझा बनाये गये हैं. 26वें सरदार पंडा अजीतानंद ओझा के निधन के बाद उनके ज्येष्ठ पुत्र गुलाबनंद ओझा को रविवार को पूरे विधि-विधान के साथ ताजपोशी की गयी. उन्हें परंपरा के अनुसार बाबा मंदिर के सरदार पंडा की गद्दी पर बिठाया गया. गुलाबनंद ओझा बाबा मंदिर के क्रमवार 27वें तथा वंशानुगत 11वें सरदार पंडा हैं
.
रविवार को ताजपोशी की प्रक्रिया प्रारंभ होने के पहले महंत गुलाबनंद ओझा गद्दी घर पहुंचे. वहां पर दीवार में लगे अपने पूर्वजों की तस्वीर व अपने दिवंगत पिता की तस्वीर पर माल्यार्पण कर आशीर्वाद लिया. उसके बाद ढोल-बाजे व झंडा के साथ मंदिर कार्यालय से शोभा यात्रा निकाली गयी. इसके बाद परंपरा अनुसार महंत का चंद्रकूप के पास मुंडन कराया गया.
उन्हें सात समुद्र सहित गंगा, यमूना, सरयू आदि कई पवित्र नदियों के जल से इस्टेट पुरोहित श्रीनाथ पंडित ने महास्नान कराया. वहीं माणि
क चौक पर महंत ने अपने हाथों से ब्राह्मण भोजन का आयोजन किया. इसके बाद महंत गुलाबनंद ओझा ने बाबा मंदिर के गर्भ गृह में जाकर बाबा बैद्यनाथ की विशेष पूजा की.
पूजा के उपरांत मंदिर की परिक्रमा कर गद्दी घर पहुंचे. यहां पर घर के बुजुर्ग शारदानंद झा, िदनेशानंद झा, सुबोधानंद झा, शिवानंद झा आिद ने उनको तिलक लगा कर मंदिर महंत घोषित किया तथा गद्दी पर बिठाया. इस अवसर पर मौजूद सांसद डॉ निशिकांत दुबे, पूर्व मंत्री कृष्णानंद झा, पूर्व मेयर राजनारायण खवाड़े, पंडा धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष डॉ सुरेश भारद्वाज, महामंत्री कार्तिक नाथ ठाकुर, उपाध्यक्ष अरुणानंद झा, वार्ड पार्षद रीता चौरसिया सहित अन्य ने शाही टोपी पहनाने के बाद तिलक कर महंत का आशीर्वाद लिया.
किसने क्या कहा
बाबा मंदिर की परंपरा तथा यात्रियों का हित व सुविधा अहम है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए पूरे समाज के साथ मिल कर मंदिर काे चलायेंगे. अधिकार पर बाद में बात करेंगे.
गुलाबनंद ओझा, सरदार पंडा, बाबा मंदिर
बाबा मंदिर की परंपरा सर्वोपरि है. इसे बनाये रखना है. महंत की ताजपोशी परंपरा का ही अंग है. वहीं अन्य अधिकार को लेकर लड़ाई
जारी रहेगी.
– केएन झा, पूर्व मंत्री
बाबा मंदिर की व्यवस्था के लिए सरदार पंडा का होना आवश्यक है. यहां की परंपरा के अनुसार पूजा पद्धति को आगे बढ़ाये रखने में महंत की भूमिका अहम है. कई तरह की विशेष पूजा होती है, जिसका अधिकार सिर्फ महंत को ही है. इसलिए महंत का होना आवश्यक है. पुरोहित समाज इनका पुरा सहयोग करेंगे.
– डॉ निशिकांत दुबे, सांसद
कौन-कौन हुए सरदार पंडा
1. मुकुंद झा
2. जूडन झा
3 मुकुंद झा दूसरी बार
4. चिक्कू
5. रघुनाथ झा 1586 में
6. चिक्कू झा दूसरी बार
7. मल्लू
8. सेमकरण झा सरेवार
9. सदानंद
10. चंद्रपाणी
11. रत्नपाणी
12. जय नाथ झा
13. वामदेव
14. यदुनंदन
15. टीकाराम 1762 तक
16. देवकी नंदन 1782 तक
17. नारायण दत्त 1791 तक
18. रामदत्त 1810 तक
19. आनंद दत्त ओझा 1810 तक
20. परमानंद 1810 से 1823 तक
21. सर्वानंद 1823 से 1836 तक
22. ईश्वरी नंद ओझा 1876 तक
23. शैलजानंद ओझा 1906 तक
24. उमेशा नंद ओझा 1921 तक
25. भवप्रीतानंद ओझा 1928 से 70 तक
26. अजीता नंद ओझा 06 जुलाई 2017 से 22 मई 2018 तक

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