चतरा. सिमरिया प्रखंड के जबड़ा में वर्ष 2017-18 से कल्याण विभाग द्वारा आश्रम आवासीय बालिका विद्यालय का संचालन किया जा रहा है. यहां रह कर 200 आदिवासी बच्चियां कक्षा छह से मैट्रिक तक की पढ़ाई कर रही हैं. 11वीं व 12वीं की पढ़ाई शुरू करने की अनुमति मिलने के बाद भी यहां पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है. ऐसे में बच्चियां मैट्रिक के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पाती हैं. गरीब तबके की बच्चियां मैट्रिक के बाद पढ़ाई छोड़ देतीं हैं. अगर विद्यालय में इंटर तक पढ़ाई होती, तो बच्चियों के लिए अच्छा होता. आश्रम आवासीय बालिका विद्यालय में चतरा के अलावा लातेहार, हजारीबाग, गिरिडीह व बोकारो जिले की आदिवासी बच्चियां पढ़ाई करती हैं. शिक्षक पंकज कुमार ने बताया कि विद्यालय में इंटर की पढ़ाई शुरू कराने के लिए कई बार डीसी व डीडब्ल्यूओ को पत्र लिखा गया है, पर कोई सुनवाई नहीं हुई. कई बच्चियां मैट्रिक के बाद पढ़ाई नहीं कर पा रही है.
विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का अभाव
आश्रम आवासीय बालिका विद्यालय में सिर्फ एक चापानल है, जाे यहां रहनेवाली 200 बच्चियों के लिए काफी नहीं है. रात में बिजली नहीं रहने से चारों ओर अंधेरा पसर जाता है. बिजली के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी है. तीन दिन पहले 24 घंटे बिजली नहीं थी. इस वजह से छात्राओं को मोबाइल का लाइट जला कर रोशनी करनी पड़ी. विद्यालय में लगा पंखा भी खराब पड़ा है, जिसकी वजह से गर्मी के मौसम में बहुत परेशानी होती है. छात्रा पूनम कुमारी ने बताया कि विद्यालय में इंटर की पढ़ाई नहीं होने के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रही हूं. छात्रा पूजा कुमारी, मनीता कुमारी व संगीता कुमारी भी मैट्रिक पास करने के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रहीं हैं. विद्यालय में 12वीं तक की पढ़ाई होती, तो काफी सुविधा होता. अभिभावक राजू उरांव, मनोज उरांव, विजय गंझू व रवि गंझू ने कहा कि काफी उम्मीद से विद्यालय में बच्चियों का नामांकन कराया था, लेकिन इंटर की पढ़ाई नहीं होने से मैट्रिक के बाद वो पढ़ाई नहीं कर पा रहीं हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है