जैंतगढ़.
दिसंबर माह की शुरुआत होते ही क्षेत्र में पिकनिक मनाने का सिलसिला शुरू हो गया है. परिवार, युवा टोली तथा विभिन्न इलाकों से आये लोग अब प्रकृति के बीच मौज-मस्ती का आनंद ले रहे हैं. इसी कड़ी में क्षेत्र का प्रसिद्ध रामतीर्थ धाम पर्यटकों से गुलजार हो उठा है. झारखंड-ओडिशा सीमा पर स्थित यह पिकनिक स्पॉट पश्चिम सिंहभूम के साथ ही ओडिशा के क्योंझर, मयूरभंज एवं सुंदरगढ़ जिलों से आने वाले लोगों का पसंदीदा स्थल माना जाता है. दिसंबर से लेकर फरवरी तक रामतीर्थ में पिकनिक का विशेष आकर्षण रहता है. जगन्नाथपुर प्रखंड अंतर्गत पवित्र वैतरणी नदी तट पर स्थित यह स्थल न केवल प्राकृतिक सौंदर्य बल्कि आस्था, इतिहास और संस्कृति से भी समृद्ध है. देवगांव ग्राम के समीप बसे रामतीर्थ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है. ओडिशा व झारखंड दोनों राज्यों में इसकी विशेष प्रतिष्ठा है.चार मंदिर आस्था का केंद्र
रामतीर्थ में एक ही परिसर में रामेश्वर मंदिर, सीताराम मंदिर, बजरंगबली मंदिर और जगन्नाथ मंदिर स्थित हैं. पिकनिक के साथ लोग नववर्ष की शुरुआत भगवान के दर्शन और पूजा-अर्चना के साथ करते हैं. यहां का प्रमुख रामेश्वर मंदिर खास पहचान रखता है. हर सोमवार, मकर संक्रांति और विशेष अवसरों पर यहां भव्य पूजा की जाती है. श्रावण माह में कांवरिये वैतरणी नदी से जल लेकर सबसे पहले इसी मंदिर में जलाभिषेक करते हैं और फिर 40 किमी दूर मुर्गा महादेव के लिए प्रस्थान करते हैं. यह भी मान्यता है कि यहां पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, इसलिए कई लोग यहां विवाह कराना शुभ मानते हैं.भगवान राम के पदचिह्न व रामेश्वर मंदिर की कहानी
रामेश्वर मंदिर की स्थापना वर्ष 1910 में की गयी थी. मान्यता के अनुसार, भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के दौरान इस मार्ग से गुजरे थे और कुछ समय यहां विश्राम किया था. इसी स्थान पर उन्होंने शिवलिंग स्थापित कर पूजा की थी, जिसे बाद में “रामेश्वर” नाम मिला. देवगांव के दियुरी को स्वप्न में आदेश मिलने के बाद इस स्थल पर पूजा प्रारंभ हुई. यहां भगवान राम के पदचिह्न और खड़ाऊं मिलने की कथा भी प्रचलित है. मंदिर विकास समिति द्वारा परिसर को भव्य रूप देकर इसका सौंदर्यीकरण किया गया है, जिससे यह स्थल और भी आकर्षक बन गया है.सैलानियों के लिए खास
रामतीर्थ की सबसे बड़ी खूबसूरती यहां की चट्टानों की क्रमबद्ध शृंखला है, जिनसे टकराकर पानी जब लहरें बनाता है तो दृश्य बेहद मनमोहक दिखायी देता है. दिसंबर और जनवरी में यहां काफी भीड़ उमड़ती है. टिस्को पम्प हाउस, रेलवे पम्प हाउस और वैतरणी नदी पर बना पुल यहां के प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगाते हैं और बच्चों को विशेष रूप से आकर्षित करते हैं.मकर पर लगता है मेला
प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर यहां विशाल मेला लगता है. सुबह से ही श्रद्धालु वैतरणी में स्नान कर पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं. मेला सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक चलता है, जिसमें हजारों लोग झारखंड और ओडिशा से शामिल होते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

