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Bokaro News : पैसे के अभाव में थम गया पंचायतों में विकास का पहिया

Bokaro News : पंचायतों को दो वित्तीय वर्षों से 15 वें वित्त आयोग की राशि नहीं मिली है.

उदय गिरि, फुसरो नगर, झारखंड में 15 वें वित्त आयोग के तहत त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत को मिलने वाली राशि पिछले दो वित्तीय वर्ष (2024-25 तथा 2025-26) से बंद होने से पंचायत स्तर पर विकास कार्य पूरी तरह ठप हो गया है. पंचायतों में विकास का पहिया थम गया है. जिसके कारण बोकारो जिले के 249 ग्राम पंचायतों के लगभग 635 राजस्व गांवों में ग्राम पंचायतों के द्वारा किये जाने वाली योजनाएं अधर में लटक गयी है. पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया कि 15 वें वित्त आयोग द्वारा ग्राम पंचायतों को दिया जाने वाला अनुदान 18 महीनों से आवंटन नहीं हुआ है. जिससे गांवों के विकास कार्य रुक गए हैं. इस वजह से आमजन भी मुखिया, पंचायत समिति, जिला परिषद सहित अन्य पंचायत प्रतिनिधियों पर सवाल उठा रहे हैं. सड़कों की मरम्मत, नाली निर्माण, स्ट्रीट लाइट, जलमीनार मरम्मत सहित सभी तरह की योजनाएं अधर में लटक गया है. पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि राशि के नही मिलने से उनका मानदेय भी नही मिल रहा है. कहा कि किसी भी राज्य का सर्वांगीण विकास तभी होगा जब गांव का विकास होगा.

क्या कहती हैं प्रखंड प्रमुख

चंद्रपुरा प्रखंड प्रमुख चांदनी परवीन ने कहा कि सरकार को अविलंब 15 वें वित्त आयोग की राशि जारी करनी चाहिए, ताकि प्रखंड में ठप पड़े विकास कार्यों को गति मिल सके. उन्होंने बताया कि अनुदान राशि के नही मिलने से विकास कार्य पूरी तरह से रुक गए हैं. जिससे आम जनता निराश और परेशान है. बेरमो प्रखंड प्रमुख गिरिजा देवी ने कहा की राशि आवंटित नहीं होने से पंचायतों में सड़क निर्माण, पेयजल योजना, शौचालय निर्माण, नाली निर्माण कार्य पूरी तरह रुक चुके हैं. केंद्र सरकार की ओर से राज्य को पैसा मिलता है. लेकिन लंबे समय से फंड का आवंटन नही हो पाया है.

ठगा महसूस कर रहे हैं मुखिया : संघ

बोकारो जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष जयलाल महतो उर्फ जेली ने कहा कि पिछले 18-19 माह से पंचायतों को राशि नही मिलने से पंचायत में विकास कार्य पूरी तरह से ठप हो गया है. मुखिया व अन्य पंचायत प्रतिनिधि खुद हो ठगा महसूस कर रहे हैं. ग्रामीणों की जो अपेक्षा पंचायत प्रतिनिधियों से थी वह पूरा नहीं हो पा रहा है. केवल केंद्र सरकार के भरोसे पंचायत निर्भर है. झारखंड सरकार को राज्य वित्त से पंचायतों को राशि उपलब्ध करानी चाहिए थी.

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