Bokaro News : राकेश वर्मा, बेरमो . चार साल से बंद बेरमो विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत बीसीसीएल की दुगदा कोल वाशरी को जिंदल कंपनी चलायेगी. जल्द ही इस वाशरी को चालू होने की उम्मीद है. इस वाशरी से कोल इंडिया से एग्रीमेंट सालाना 2 मिलियन टन उत्पादन का है, जबकि जिंदल कंपनी वाशरी से उत्पादन क्षमता को अधिकतम सालाना चार मिलियन टन तक ले जायेगी.
मिली जानकारी के अनुसार लीज पर लेने के बाद जिंदल कंपनी कंपनी के अधिकारी लगातार दुगदा कोल वाशरी का निरीक्षण कर रहे हैं. गत शुक्रवार को भी कंपनी के अधिकारियों ने वाशरी का निरीक्षण किया था. बीसीसीएल के सीएमडी समीरन दत्ता ने एक सप्ताह पूर्व दुगदा में सौर ऊर्जा संयंत्र का निरीक्षण किया था. प्रबंधन सूत्रों के अनुसार जिंदल कंपनी ने दो साल का रेंट करीब 40-42 करोड़ तथा बैंक गांरटी भी करीब 50- 52 करोड़ रुपये कोल इंडिया में जमा कर दिया है. राज्य सरकार से भी कुछ अनुमति लेनी है, क्योंकि जब दो कंपनी के बीच एग्रीमेंट होता है तो राज्य सरकार को भी टैक्स देना पड़ता है. यह राशि करीब 1 से 1.5 करोड़ के बीच होगी.चार वाशरियों को लीज पर देने का निर्णय :
मालूम हो कि बीसीसीएल ने अपनी चार कोल वाशरियों को लीज पर निजी स्टील प्लांटों को देने का निर्णय लिया था, जिसमें दुगदा, मधुबन, महुदा और सुदामडीह कोल वाशरी शामिल हैं. इससे सबसे पहले दुगदा कोल वाशरी को जिंदल कंपनी को दिया गया है, जबकि महुदा और सुदामडीह कोल वाशरी को लीज पर देने की प्रक्रिय प्रोसेस में है. वहीं मधुबन कोल वाशरी में फिलहाल कुछ लैंड इश्यू है. बीसीसीएल वाशरी डिवीजन प्रबंधन के अनुसार कोल वाशरियों के मोनेटाइजेशन से कोल इंडिया को मुनाफा होगा. कोल इंडिया ने बंद कोल वाशरियों को निजी स्टील प्लांटों को 30 वर्षों के लिए देने की योजना बनायी है. स्टील प्लांट कोल वाशरियों का संचालन सिर्फ अपने प्लांट के लिए करेंगी. खुले बाजार में वाश्ड कोल बेचने का अधिकार नहीं होगा. कोकिंग कोयला, इस्पात उत्पादन में एक महत्वपूर्ण घटक है. दुगदा कोल वाशरी के निवर्तमान पीओ एस के शर्मा ने कहा कि बंद वाशरी के चालू होने से बीसीसीएल के साथ देश को भी लाभ होगा. इससे विदेशों से आयात किये जा रहे वॉश कोल पर विराम लगेगा.वर्ष 2019 के बाद से दयनीय होती गयी वाशरी की स्थिति :
चार साल से ज्यादा समय से (21 मई 2021 से) दुगदा वाशरी बंद है. पहले प्रबंधन ने डीएमओ (माइनिंग चालान) के कारण वाशरी से उत्पादन बंद होने की बात कही थी. वाशरी प्रबंधन के अनुसार इस वाशरी में रॉ कोल का ऐश परसटेंज 30 से 35 फीसदी (वाशरी ग्रेड चार कोयला का) के बीच था. जबकि ओपेन कास्ट कोल में ऐश परसटेंड 40-42 फीसदी था. अब जिंदल कंपनी अपने हिसाब से इस वाशरी का चलायेगी. इस वाशरी की कई पुरानी मशीनों को भी कंपनी बदलेगी.वाशरी से 1962 से शुरू हुआ था उत्पादन :
दुगदा कोकिंग कोल वाशरी से उत्पादन वर्ष 1962 में शुरू हुआ था. पहले यह वाशरी हिंदुस्तान स्टील के अधीन थी. बाद में यह सेल के अंतर्गत आ गयी. वर्ष 1983 के आसपास यह बीसीसीएल के अधीन आ आयी. यहां पहले दुगदा वन और दुगदा दो के नाम से वाशरी चलती थी. यह वाशरी वर्षों तक सालाना करोड़ों के मुनाफे में चलती रही. दुगदा-वन वाशरी कई वर्ष पहले ही बंद हो गयी. बाद में सिर्फ दुगदा-2 वाशरी चल रही थी, जो तीन साल से अधिक समय से बंद है.190 है वाशरी का मैनपावर :
वाशरी प्रबंधन के अनुसार दुगदा वाशरी का मैन पावर फिलहाल मात्र 190 रह गया है. बीसीसीएल की वाशरी डिवीजन अंतर्गत कई वाशरियां संचालित हैं, जो मुनाफे में भी चल रही हैं, इसलिए दुगदा वाशरी के बंद रहने से हो रहे नुकसान की भरपाई हो जा रही है.बोले सीसीएल के सीएमडी :
दुगदा बीसीसीएल के सीएमडी समीरन दत्ता ने कहा कि कोल वाशरी का भविष्य काफी उज्ज्वल है. जिंदल कंपनी को दुगदा कोल वाशरी को 30 वर्षों के लिए लीज पर दे दिया गया है. कुछ औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद यह वाशरी शीघ्र चालू हो जायेगी. दुगदा वाशरी के चालू हो जाने से न सिर्फ कंपनी को लाभ होगा, बल्कि क्षेत्र का भी विकास होगा और लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है