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हैरतअंगेज कारनामों से हैरान करने वाले एसके चौधरी का निधन, वर्ल्ड रिकार्ड बनाने का सपना रह गया अधूरा

चार बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के विजेता एसके चौधरी का बोकारो थर्मल स्थित श्रीराम गेस्ट हाउस में निधन हो गया.

संजय कुमार मिश्रा

( प्रतिनिधि बोकारो थर्मल )

बोकारो : चार बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के विजेता एसके चौधरी का बोकारो थर्मल स्थित श्रीराम गेस्ट हाउस में निधन हो गया. कमरा नंबर 101 में उन्हें मृप पाया गया. जैसे ही यह सूचना पुलिस को मिली इस्पेक्टर उमेश कुमार ठाकुर गेस्ट हाउस पहुंचे जहां कमरे के बेड पर एसके चौधरी का मृत शरीर मिला.

अपने हैरतअंगेज कारनामों से लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने को विवश करने वाले एसके चौधरी का आखिरी शो 28 फरवरी को बोकारो थर्मल स्थित सीआईएसएफ यूनिट में शाम को किया गया. उनके निधन के साथ ही शो मैन एसके चैधरी का 20 हजार शो पूरा करने और वल्र्ड रिकार्ड बनाने का सपना अधूरा रह गया.एके चौधरी ने अपने दांतों से 20 किलो का बटखरा उठाकर सीआईएसएफ अधिकारियों,जवानों एवं वहां पर मौजूद दर्शकों को हैरान कर दिया था. उन्होंने अपने बाल से बंधी रस्सी के सहारे एक बड़ी बस को भी खींचा था.शो करते समय एसके चैधरी का हालत ठीक नहीं थी और उनकी सांस भी काफी फूल रही थी.उनकी स्थिति को देखते हुए सीआईएसएफ के डिप्टी कमांडेंट आलोक कुमार ने शो बीच में ही बंद करवा दिया था.

29 फरवरी को करगली सीआईएसएफ यूनिट में उन्हें सो करना था. यूनिट के कमांडेंट ने शो रद्द कर दिया था. इसी गेस्ट हाउस में रहकर एसके चौधरी अपना इलाज भी करवा रहे थे. गेस्ट हाऊस के मालिक अरविंद कुमार नेबताया कर्मचारी सारा दिन उनका ख्याल रखते थे.बुधवार को उनका टिकट त्रिपुरा के लिए था. एसके चौधरी 16 साल की उम्र से यह कारनामा कर रहे थे देशभर में घूम- घूमकर कई जगहों पर उन्होंने शो किया था. बोकारो थर्मल में उनका 17987 वां शो था. उन्होंने कहा था कि उन्हें वल्र्ड रिकार्ड बनाने के लिए 20 हजार शो करना है.बताया था कि शो के बाद मिली प्रोत्साहन राशि से अनाथ बच्चों का भरण-पोषण करते हैं.

दक्षिण त्रिपुरा में सीता शिशु निकेतन नामक अनाथालय संचालित करते थे.इसमें करीब 700 से अधिक बच्चे हैं.अनाथ बच्चों की देखभाल के लिए वह पोर्ट ब्लेयर के स्टेट स्पोर्ट्स अफसर की नौकरी छोड़ चुके थे..65 वर्ष की आयु वाले एसके चौधरी नौ वर्ष पूर्व उड़ीसा से एडीएम की नौकरी से रिटायर कर चुके थे. पेंशन से मिलनेवाली 55 हजार रुपये तथा गिनीज बुक से सलाना तीन लाख रुपये की राशि से वे अनाथालय में बच्चों के लालन पालन पर ही खर्च करते थे.

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