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Bokaro News : गांव से निकल कर ग्रास रूट के नेता बने थे जगरनाथ महतो

Bokaro News : पूर्व शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की आज पुण्यतिथि है. चार अप्रैल 2023 को इलाज के क्रम में एमजीएम चैन्नई में उनका निधन हो गया था.

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बेरमो. डुमरी विस क्षेत्र में वर्ष 1977 से लेकर 2000 तक पूर्व विधायक लालचंद महतो व शिवा महतो के राजनीतिक वर्चस्व को तोड़ कर चंद्रपुरा प्रखंड के छोटे से गांव सिमराकुली से निकले और विधानसभा तक का सफर तय करने वाले पूर्व शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की आज पुण्यतिथि है. चार अप्रैल 2023 को इलाज के क्रम में एमजीएम चैन्नई में उनका निधन हो गया था. 80 के दशक में झामुमो के एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने राजनीति में कदम रखा था. उस वक्त के झामुमो विधायक शिवा महतो के सैकेंड मैन के रूप में वह जाने जाते थे. 90 के दशक में भंडारीदह रिफैक्ट्रीज प्लांट में फायर क्ले की ट्रांसपोर्टिंग में हो रहे घालमेल को उजागर कर चर्चे में आये. दबंग ट्रांसपोर्टरों के इशारे पर उनके साथ मारपीट हुई थी. पुलिस प्रताड़ना का भी उन्हें शिकार होना पड़ा. तीन-चार दिनों तक वह लापता रहे. जिला प्रशासन ने सीसीए एक्ट लगा कर जेल भेजने का प्रयास किया. उस वक्त गिरिडीह के तत्कालीन सांसद स्व राजकिशोर महतो ने इस मामले पर हस्तक्षेप किया. उन्होंने प्रशासन से कहा कि या तो वो जगरनाथ महतो को जेल भेजे या फिर कोर्ट में हाजिर करे. इसके बाद जाकर मामला ठंडा पड़ा. डुमरी-नावाडीह क्षेत्र के ग्रामीण हलकों के साथ-साथ इससे सटे बेरमो कोयलांचल में भी स्व जगरनाथ महतो संगठित व असंगठित मजदूरों सहित विस्थापित आंदोलन में सक्रिय रहे. जमीनी स्तर पर आंदोलन के कारण अलग स्थान बनाने में कामयाब रहे. झारखंड अलग राज्य आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका रहती थी. पारा शिक्षकों व स्थानीयता के मुद्दे पर विस में भी आवाज उठाते रहे. उन्होंने राजनीति के गुर बिनोद बिहारी महतो, शिबू सोरेन, एके राय, शिवा महतो, राजकिशोर महतो आदि से सीखे थे.

संघर्षों से भरा रहा राजनीतिक सफर

वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव के ठीक छह माह पूर्व स्व जगरनाथ महतो डुमरी में एक विशाल सभा आयोजित कर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन व उनके बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन की उपस्थिति में झामुमो में शामिल हुए थे. पार्टी में लगभग 17 सालों के सफर तय करने के बाद हेमंत सरकार में शिक्षा मंत्री बने थे. उनका राजनीतिक जीवन आंदोलनों के कारण संघर्षों से भरा रहा. कई बार जेल जाना पड़ा. अलग राज्य आंदोलन में भी एक दर्जन से अधिक मुकदमे इन पर दर्ज हुए. 1932 की स्थानीय नीति की मांग को लेकर किये गये आंदोलन के कारण भी तीन माह से अधिक समय तक तेनुघाट जेल में गुजारना पड़ा था.

बेहतरीन फुटबॉलर के साथ-साथ खेल प्रेमी भी थे

स्व जगरनाथ महतो बेहतरीन फुटबॉलर के साथ-साथ खेल प्रेमी भी थे. कोराेना बीमारी के चपेट में आने से पूर्व वर्ष 2020 के पहले तक रोजाना एक घंटा मार्निंग वॉक के बाद अपने पैतृक गांव के मैदान में फुटबॉल भी खेलते थे. इस दौरान ग्रामीणों की समस्याओं पर चर्चा भी करते थे. गांव के अलावा गट्टीगडा में फुटबॉल टूर्नामेंट भी कराया करते थे. खेल के अलावा उनका खेती से भी गहरा लगाव था.

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